National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीनों नए आपराधिक कानूनों को आगामी एक जुलाई 2024 से लागू करने की अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी। तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता व साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इस बाबत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से तीनों नए आपराधिक न्याय विधेयकों को दिसंबर में मंजूरी मिली थी। इसके साथ ही ये तीनों नए विधेयक कानून बन गए थे। इसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं।
राजद्रोह की धारा देशद्रोह में बदली
इन तीनों कानूनों का मुख्य उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलना है, जो कि अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानूनों पर चल रही थी। अब इससे छुटकारा मिल सकेगा। इन कानूनों में राजद्रोह के अपराध को समाप्त किया गया है। सरकार ने नए कानून में राजद्रोह की धारा, 124 (क) को पूरी तरह से समाप्त कर इसको देशद्रोह में बदल दिया है। इसमें राज्य के खिलाफ अपराध करने की एक नई धारा को शामिल किया गया है। इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधि, संप्रभुता अथवा एकता का खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गतिविधि जैसे अपराधों को शामिल किया गया है।
आजीवन कारावास का प्रावधान
मंजूर किए गए नए कानून के तहत अगर कोई मौखिक तौर पर या लिखित या सांकेतिक रूप से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या फिर प्रयास भी करता है, एकता व अखंडता को क्षति पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा उस पर जुर्माने का प्रावधान भी नए कानून में सम्मलित किया गया है।
मॉब लिंचिंग में कड़ी सजा का प्रावधान
नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। नए कानूनों में नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध बताया था। इस अपराध के लिए नए कानूनों में फांसी की सजा का प्रावधान की बात संसद में कही थी।
आतंकवादियों से सख्ती से निपटने का कानून
इसके अतिरिक्त नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है। दूसरी ओर पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में किया गया है। इस तरह के अपराधों के साथ-साथ संगठित अपराध से निपटने को प्रावधान भी नए कानून में किए हैं। पहले इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे। गौरतलब है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (CrPC) की जगह लेगा। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेगा।