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अब चेन्नई में भी सूखा : सबसे बड़ी झील में जीरो वाटर; इस साल तीन महीने पहले ही बिगड़े हालात

अब चेन्नई में भी सूखा : सबसे बड़ी झील में जीरो वाटर; इस साल तीन महीने पहले ही बिगड़े हालात

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Now there is drought in Chennai too: Zero water in the biggest lake; The situation worsened just three months ago this yea, Chennai news:  बेंगलुरु में पानी की किल्लत अभी ठीक नहीं हो पाई कि देश के दूसरे IT हब चेन्नई का पानी सूखने लगा है। यहां की सबसे बड़ी और 43 प्रतिशत आबादी की प्यास बुझाने वाली वीरानम लेक पूरी तरह से सूख चुकी है। कुछ पोखरों में ही पानी बचा है। बीते साल जुलाई में ऐसे हालात बने थे। इस बार तीन महीने पहले ही स्थिति बिगड़ गई है। 28 फरवरी से वीरानम लेक से सप्लाई बंद है। चेन्नई मेट्रोपोलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड इसे ‘डेड’ घोषित कर चुका है। बोर्ड के मुताबिक पिछले साल इसी समय लेक में 773.95 मिलियन क्यूबिक फीट (MCFT) पानी था। इसकी क्षमता 1465 MCFT की है।

दूसरे जल भंडारण स्रोतों की हालत भी दयनीय

यहां के दूसरे जल भंडारण स्रोतों की हालत भी दयनीय है। इसलिए सप्लाई आधी कर दी है। पानी एक दिन छोड़कर मिल रहा है। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चेन्नई में अक्टूबर के आखिर में मानसूनी बारिश होती है, तब तक हमें भूजल से काम चलाना होगा। हालांकि, वो भी तेजी से घट रहा है।

ग्राउंड वाटर भी घट रहा, मेदावक्कम में बोरवेल सूखे

सतही, भूजल और पीने योग्य समुद्री जल से चेन्नई की भरपाई होती है, लेकिन अभी सतही जल पूरी तरह सूखने के कगार पर है। भूजल भी तेजी से गिर रहा है। अभी 13.222 TMC भूजल भंडारण की जरूरत है, लेकिन 7.746 TMC ही बचा है। बीते साल यह 9.262 TMC था। चेन्नई के पड़ोसी शहर मेदावक्कम में बोरवेल अप्रैल में ही सूख गए जय हैं। जबकि इस इलाके में नानमंगलम रिजर्व फॉरेस्ट भी है, फिर भी यहां का भूजल स्तर तेजी से गिरा है। लोग टैंकरों से काम चला रहे हैं। इसके रेट 1500 रु. तक हैं।

भविष्य में जीरो वाटर डे संभव 

चेन्नई के 90 लाख लोगों की प्यास बुझाने के लिए हर महीने 2232 मिलियन लीटर्स पानी (MLD) चाहिए, जबकि बोर्ड 1070 MLD ही दे पा रहा है। IIT मद्रास और अन्ना यूनिवर्सिटी ने पिछले साल चेन्नई के जलसंकट पर स्टडी की थी। इसके मुताबिक डिमांड और सप्लाई में अंतर 2019 में 525 MLD का था, जो अब 852 MLD है।

2030 में डिमांड 2365 MLD प्रति दिन हो जाएगी। अन्ना यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च के पूर्व डायरेक्टर के. पलानीवेली के मुताबिक पानी का मिस मैनेजमेंट और जलवायु परिवर्तन से हालात और बिगड़ेंगे। जल्द ही चेन्नई में जीरो वाटर डे भी हो सकता है।

चेन्नई में लोग पानी के लिए वाटर टैंकर पर निर्भर हो गए हैं। ये टैंकर भी कीमत से 3 गुना अधिक तक ज्यादा पैसा ले रह हैं।

बेंगलुरु में 500 साल का सबसे बड़ा वाटर क्राइसिस

बेंगलुरु शहर पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है। कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने कहा कि शहर में 3 हजार से अधिक बोरवेल सूख गए हैं, जिनमें उनके घर का बोर भी शामिल है। वहीं शहर के टैंकर वाले 5 हजार लीटर के लिए 500 रुपए की जगह 2 हजार रुपए वसूल रहे हैं।

शिवकुमार ने कहा कि पानी की जरूरत पूरी करने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हम सभी टैंकों को अपने कब्जे में ले रहे हैं और उन सोर्सेस की पहचान कर रहे हैं जहां पानी उपलब्ध है। 217 टनल भी ढूंढ लिया गया है। हालांकि शहर को कावेरी से जो पानी सप्लाई हो रहा है, वह जारी है।

*कर्नाटक CM बोले : केंद्र सरकार फंड मुहैया नहीं कर रही*

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 23 मार्च को कहा था कि पानी की कमी से जूझ रहे राज्य को केंद्र सरकार से फंड नहीं मिल रहा है। केंद्र से नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (NDRF) रिलीज करवाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

हम पिछले 5 महीने से फंड का इंतजार कर रहे

सिद्धारमैया ने कहा कि हम पिछले 5 महीने से फंड का इंतजार कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारी पानी की किल्लत दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट केंद्र को फंड रिलीज करने का निर्देश दें। हमने राज्य के 236 तालुकों में से 223 तालुकों में सूखा घोषित किया था। 48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि फसलें बर्बाद हो गईं। हमने केंद्र को फंड के लिए तीन बार ज्ञापन भेजे, लेकिन हमें अब तक एक पैसा भी नहीं मिला। हम अपने राज्य के ट्रेजरी से 650 करोड़ रुपए सूखे के लिए रिलीज कर चुके हैं। इससे 33.44 लाख किसानों को 2-2 हजार रुपए पहुंचाए गए हैं। हमें और फंड की जरूरत है, इसलिए केंद्र से मांग कर रहे हैं।

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