New Delhi news : 15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय पर्व है। संविधान के अनुसार, प्रोटोकॉल कहता है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इस मौके पर कैबिनेट मंत्रियों के साथ पहली पंक्ति में बैठाना चाहिए था, लेकिन उन्हें पांचवीं पंक्ति में बैठाकर एक प्रकार से सरकार फंस गई। अब इसे लेकर बेवजह बहस हो रही है।
प्रधानमंत्री की कुंठा
इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को कांग्रेस ने दावा किया कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पीछे बैठाना प्रधानमंत्री की कुंठा को दिखाता है और यह दर्शाता है कि सरकार को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की कोई परवाह नहीं है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि यह सिर्फ नेता प्रतिपक्ष के पद का अपमान नहीं था, बल्कि भारत के लोगों का अपमान था। दूसरी तरफ सरकार की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि बैठने की सभी व्यवस्थाएं वरीयता तालिका के अनुसार की गईं थीं और इस वर्ष यह निर्णय लिया गया कि पेरिस ओलंपिक के पदक विजेताओं को स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित किया जाएगा।
सच्चाई कर सकती है और असहज
वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पोस्ट करते हुए लिखा है कि प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों सदनों के एलओपी को भी आगे की पंक्ति में बैठना चाहिए, ‘‘लेकिन राहुल जी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सीटें 5वीं पंक्ति में थीं। वेणुगोपाल ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि सच्चाई कुछ लोगों को कितनी असहज कर सकती है – इतना कि वे इसका सामना करने के बजाय बैठने की जगह को फिर से व्यवस्थित करना पसंद करेंगे। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक बयान में दावा किया, ‘‘छोटे मन के लोगों से बड़ी चीजों की उम्मीद करना बेमानी है।
रक्षा मंत्रालय का तुच्छ व्यवहार
इससे पहले, कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में राहुल गांधी के बैठने की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘रक्षा मंत्रालय इतना तुच्छ व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पांचवीं पंक्ति में बैठे। नेता प्रतिपक्ष किसी भी कैबिनेट मंत्री से ऊपर है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजनाथ सिंह जी, आप रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का राजनीतिकरण नहीं होने दे सकते। आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, राजनाथ जी।’’