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संसद में ओवैसी ने कहा- मैं राम की इज्जत करता हूं, परंतु नाथूराम गोडसे से नफरत

संसद में ओवैसी ने कहा- मैं राम की इज्जत करता हूं, परंतु नाथूराम गोडसे से नफरत

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National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news: संसद में राम मंदिर के उद्घाटन पर चर्चा करते हुए एआईएएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि वह राम की इज्जत करते हैं, लेकिन नाथूराम गोडसे से वह नफरत करते हैं। उन्होंने इस दौरान पूछा कि क्या मोदी सरकार सिर्फ एक समुदाय और एक धर्म की सेवा करती है। क्या 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर का उद्घाटन एक धर्म की दूसरे पर विजय थी। राम मंदिर उद्घाटन पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों से बार-बार देशभक्ति साबित करने को कहा जाता है। क्या मैं बाबर, जिन्ना अथवा औरंगजेब का प्रवक्ता हूं? मैं भगवान राम का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं नाथूराम गोडसे से उतना ही नफरत करता हूं। क्योंकि नाथूराम ने उस व्यक्ति की हत्या की, जिसके अंतिम शब्द हे राम थे।

राजेंद्र अग्रवाल ने किया पलटवार 

उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए आगे कहा कि सरकारें आती हैं और जाती हैं। मोदी सरकार ने 6 दिसंबर को जो हुआ उसका खूब जश्न मनाया। इस पर अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि 6 दिसंबर को जो हुआ उस पर कोई उत्सव नहीं था, बल्कि राम मंदिर के उद्घाटन पर उत्सव था। उन्होंने कहा कि आप विद्वान हैं। आपको क़ानूनी ज्ञान भी है। एएसआई और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने कहा कि वहां एक मंदिर था, जिस पर मस्जिद बनाई गई थी। 

ओवैसी और निशिकांत दुबे में हुआ सवाल – जवाब

सदन में जब ओवेसी बाबर का जिक्र कर रहे थे तब, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि आसन को केवल ओवेसी से पूछना चाहिए कि क्या वह बाबर को आक्रमणकारी मानते हैं। इस पर ओवैसी ने उलट सवाल करते हुए निशिकांत से पूछा कि आप पहले बताएं कि आप पुष्यमित्र शुंग को क्या मानते हैं। उनके पास मंदिरों को तोड़ने के लिए एक सेना भी थी। मैं यही बात दोहरा रहा हूं कि आजादी के इतने वर्षों बाद निशिकांत दुबे ओवैसी से बाबर के बारे में पूछ रहे हैं। ओवैसी ने कहा आप ऐसा कर सकते हैं। मुझसे गांधी, नेताजी, जलियांवाला बाग के बारे में पूछा है। लेकिन नहीं, आप मुझसे बाबर के बारे में पूछेंगे। ओवैसी ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी मुसलमानों को संदेश दे रहे हैं कि वे या तो अपनी जिंदगी चुन सकते हैं या न्याय।

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