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PICTURE OF WOES : RBI ने GDP ग्रोथ रेट घटाया, नहीं मिलेगी महंगाई से राहत, रेपो और रिवर्स रेपो रेट में नो चेंज…

PICTURE OF WOES : RBI ने GDP ग्रोथ रेट घटाया, नहीं मिलेगी महंगाई से राहत, रेपो और रिवर्स रेपो रेट में नो चेंज…

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Reserve Bank of India यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी तीन दिवसीय एमपीसी की बैठक के नतीजों का एलान 8 April को कर दिया है। इस बार भी केंद्रीय बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस फैसले से लोन लेने वाले लोगों की उम्मीदों को झटका लगा है। इस बार भी उनकी ईएमआई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निकट भविष्य में महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट को भी घटा दिया है। रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिये गए महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं –

ईएमआई कम होने की करें प्रतीक्षा

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह क्रमश: चार फीसदी और 3.35 फीसदी पर यथावत रहेंगी। इसका मतलब ये हुआ कि बैंक की ईएमआई कम नहीं होगी। यहां बता दें कि रेपो रेट में कटौती के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव होता है। जब बैंक ब्याज दर में कटौती करते हैं तो ईएमआई भी घट जाती है।

महंगाई कम होने के आसार नहीं

बैठक में महंगाई भी चर्चा का एक प्रमुख विषय रही। यही कारण है कि केंद्रीय बैंक ने महंगाई के अनुमान को बढ़ा दिया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई का औसत अनुमान 5.7 फीसदी रखा गया है। इससे पहले आरबीआई ने महंगाई का अनुमान 4.5 प्रतिशत के स्तर पर रखा था। दास ने कहा कि देश में महंगाई बढ़ रही है और ग्रोथ रेट कम हो रहा है। ऐसे में हमारे सामने दोहरी चुनौती खड़ी है।

ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया

शक्तिकांत दास ने कहा कि सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण वैश्विक बाजार भारी दबाव में है। यही कारण है कि केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है। गवर्नर ने बताया कि ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 7.2 फीसदी किया जा रहा है। पहले यह अनुमान 7.8 फीसदी जताया गया था। आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रोथ अनुमान 16.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी, जबकि चौथी तिमाही में चार फीसदी रखा गया है।

कच्चे तेल में तेजी चिंता का बड़ा कारण

आरबीआई की यह तीन दिवसीय बैठक छह अप्रैल को शुरू हुई थी और आठ अप्रैल को इसके नतीजे घोषित किए गए। इस दौरान कमेटी के सदस्यों ने रेपो रेट-रिवर्स रेपो रेट के साथ ही रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से उपजे हालातों पर भी गहन चर्चा की। शक्तिकांत दास ने बताया कि कच्चे तेल का अनुमान 100 डॉलर प्रति बैरल रखा गया है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भी बड़ी चिंता का विषय है।

रेपो और रिवर्स रेपो रेट का मतलब

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को कर्ज मुहैया कराया जाता है। जो कर्ज आरबीआई बैंकों को देता है, बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। ऐसे में रेपो रेट अगर कम होता है तो बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर आरबीआई से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिये बाजारों में लिक्विडिटी यानी नगदी को नियंत्रित किया जाता है।

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