Uttar Pradesh (उत्तर प्रदेश) में बंपर बहुमत के साथ जीत कर आए CM योगी आदित्यनाथ के सामने लीडर आफ अपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव होंगे। यह ध्यान देने योग्य बात है कि यदि वहां की जनता ने सत्ता के लिए बंपर बहुमत दिया है, तो मजबूत विपक्ष के लिए भी बंपर वोट दिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अखिलेश यादव की भूमिका सियासी नजरिए से कैसी रह रही है, यह देखने लायक बात है। उन्होंने MP की सदस्यता छोड़ी है और राज्य की राजनीति के लिए अपने को समर्पित किया है तो ऐसा कुछ सोच कर ही किया होगा। 26 मार्च को सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में अखिलेश यादव को नेता चुना लिया गया। बैठक में प्रस्ताव वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद ने किया। इसका अनुमोदन आलम बदी ने किया। विधान मंडल दल के नेता का प्रस्ताव लालजी वर्मा ने रखा। साथ ही विधान परिषद के लिए प्रस्ताव राजेंद्र चौधरी ने किया।
‘अन्याय के खिलाफ संघर्ष जरूरी’
गौरतलब है कि हाल में संपन्न उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करहल सीट से विधायक चुने जाने के बाद अखिलेश ने आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए यह ‘त्याग’ जरूरी था। अखिलेश ने एक ट्वीट में कहा, विधानसभा में उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों ने हमें नैतिक जीत दिलाकर जन-आंदोलन का जनादेश दिया है। इसका मान रखने के लिए मैं करहल का प्रतिनिधित्व करूंगा और आजमगढ़ की तरक्की के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूंगा।