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POLITICS : घर में बैठने से नहीं चलेगा काम, क्या अब देना ही होगा वोट…

POLITICS : घर में बैठने से नहीं चलेगा काम, क्या अब देना ही होगा वोट…

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Strong Democracy needs strong voting. मजबूत लोकतंत्र में मजबूत वोटिंग की जरूरत होती है। वोटिंग के प्रति जनता की अनिच्छा या अपेक्षा बेशक लोकतंत्र को कमजोर करती है, मगर जनता के सिर पर बंदूक रखकर शासन वोटिंग नहीं करवा सकता। ऐसा करवाना लोकतंत्र को मजबूत नहीं कर सकता। लोकतंत्र में जनता का विश्वास ज्यादा मजबूत तब होगा, जब जनता खुद आगे आकर नेताओं में विश्वास कर उनके पक्ष में अथवा उनके खिलाफ जनता वोटिंग करेगी। अगर भारत के पार्लियामेंट में ऐसी चर्चा हो रही है तो आम पब्लिक में भी इसका असर दिखेगा। लोग आपस में चर्चा करेंगे। सोचना यह है कि क्या भविष्य में भारत में वोटिंग करनी ही पड़ेगी अर्थात वोटिंग को अनिवार्य करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। लोकसभा में एक भाजपा सांसद के गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा हो रही है। भाजपा का रुख वोटिंग को अनिवार्य करने पर है, तो विपक्ष इससे सहमत नहीं है।

मतपत्रों की तरफ लौटने पर जोड़

लोकसभा में 1 अप्रैल को भाजपा सांसद जनार्दन सिग्रीवाल के गैर सरकारी विधेयक ‘अनिवार्य मतदान विधेयक 2019’ पर चर्चा हुई। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के डीन कुरियाकोस ने कहा कि हमें एक व्यवस्था बनानी होगी, जिससे लोगों को मतदान के लिए आकर्षित किया जा सके। लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बढ़े। हमें चुनावी तंत्र में धनबल और बाहुबल को खत्म करने की जरूरत है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि एनआरआई लोगों को मतदान का अधिकार दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे हमारे देश में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। हमें मतदान के लिए मत पत्रों की तरफ वापस लौटने के लिए चर्चा करनी होगी ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास बहाल रहे।

चुनने या नहीं चुनने का अधिकार

कांग्रेस के अब्दुल खलीक ने व्यक्तिगत स्तर पर विधेयक का विरोध किया और कहा कि लोकतंत्र में ‘चुनने या नहीं चुनने का अधिकार’ है और अनिवार्य मतदान में लोगों को किसी को चुनना ही होगा।

30 देशों में है अनिवार्य मतदान

भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने कहा कि यह सरकार आने के बाद पहले दिन से ‘एक देश, एक चुनाव’ के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि अगर मतदान अनिवार्य होगा तो दुनिया के अंदर भारत की स्थिति और सुधरेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में केवल 33 देशों में अनिवार्य मतदान है, वहीं कई देशों में लोगों का मतदान करने के बाद जन प्रतिनिधियों से विश्वास उठ जाता है। बिधूड़ी ने कहा कि कई लोग ‘गुंडा तत्वों’ के डर से मतदान नहीं करने जाते। उन्होंने कहा कि अनिवार्य मतदान से ऐसे तत्वों से मुक्ति मिलेगी और देश में अच्छा नेतृत्व उभरकर आएगा। मतदान अनिवार्य किया जाए और आधार के साथ उसे जोड़ दिया जाए।

एक मौलिक कर्तव्य हो मतदान

भाजपा सांसद जमयांग नामग्याल ने कहा कि मतदान को अनिवार्य बनाना बहुत जरूरी है। मतदान एक मौलिक कर्तव्य हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनिवार्य मतदान से सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों को अलग रखना चाहिए। उनके अनुसार, बहुत सारे लोग मतदान के समय घर से नहीं निकलते हैं, लेकिन जब जन प्रतिनिधि उनके पास जाते हैं तो वो बुरा-भला कहते हैं। वह हैरान हैं कि आज भी बहुत सारे लोगों के दिमाग में भर दिया गया है कि राजनीति एक गंदा खेल है। यह अच्छा विचार नहीं है। राजनीतिक कभी गंदी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी का राजनीति या मतदान से दूर रहना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं रहेगा। भाजपा सांसद ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र को आधार के साथ जोड़ना चाहिए।

दिव्यांगों के लिए पोस्टल वोटिंग जरूरी

चर्चा में भाग लेते हुए आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि इस देश में भौगोलिक एवं अन्य सीमाओं की वजह से अनिवार्य मतदान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में प्रवासी भारतीयों का मतदान सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। उन्होंने कहा कि प्रॉक्सी या ऑनलाइन माध्यम से एनआरआई के मतदान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में इसे लागू नहीं किया जा रहा और इसके पीछे कोई एजेंडा नजर आता है। आईयूएमएल नेता ने कहा कि दिव्यांगों के लिए डाक मतदान की व्यवस्था होनी चाहिए।

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