Women’s Reservation (महिला आरक्षण) का मुद्दा भारतीय सियासत के केंद्र में फिर से उभर कर सामने आने वाला है। पिछले तीन दशकों में यह मुद्दा महत्वपूर्ण रहा है। लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 33% सुनिश्चित करने संबंधी यह मामला सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है, पर इसे अंजाम तक पहुंचाने में सभी आज तक सकुचाते फिर रहे हैं। अभी हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में इस संबंध में कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने साहसिक काम किया, भले उन्हें जमीन पर सफलता नहीं मिली, लेकिन इस मुद्दे से भविष्य में कोई आंख नहीं चुरा सकता। हाल की मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिल रही है कि इस मुद्दे को तृणमूल कांग्रेस शीघ्र ही राज्यसभा में उठाएगी। इसे लेकर पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने हरी झंडी दे दी है।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग निराशाजनक
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार,टीएमसी के राज्यसभा के फ्लोर लीडर डेरेक ओ ब्रायन उच्च सदन के नियम 168 के तहत जल्द प्रस्ताव पेश करना चाहते हैं। प्रस्ताव के जरिए चौंकाने वाले आंकड़े भी पेश किए जाएंगे, जिसके तहत ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में बेहद गिरावट देखी गई है। यही नहीं राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी में भी भारत का प्रदर्शन निराशाजनक है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टीएमसी की ओर से राज्यसभा में उठाए जा रहे प्रस्ताव की प्रति उसके पास भी है, जिसमें कहा गया है कि भारत विश्व आर्थिक मंच की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 में 156 देशों में 28 स्थान नीचे 140 वें स्थान पर आ गया है। मुख्य रूप से मंत्रियों के बीच महिलाओं की हिस्सेदारी में काफी गिरावट देखने को मिली है। जो 2019 में 23% से घटकर 2021 में 9.1% हो गया है। वर्तमान में इसका शेयर 14% ही है।
टीएमसी ओर से जारी होने वाले प्रस्ताव में कहा गया है कि दुनियाभर की राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी में भारत की रैंकिंग पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिरी है। 1998 में भारत 95वें स्थान पर था। मार्च 2022 तक भारत 184 देशों में 144वें स्थान पर पहुंच गया है।
टीएमसी की संसदीय टीम में महिलाओं की भागीदारी 34 फ़ीसदी
महिला आरक्षण विधेयक के लिए तृणमूल की जोर-आजमाइश को अपनी संसदीय टीम में 34% महिला सांसद मिलने के बाद एक राजनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है। इसके अलावा टीएमसी पार्टी का नेतृत्व करने वाली ममता बनर्जी भारत की एकमात्र महिला सीएम भी हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, “केंद्र सरकार की अपनी प्राथमिकताएं हैं। यह आपराधिक पहचान विधेयक और एमसीडी कानून को आगे बढ़ाना चाहती है। हम उनसे पूछ रहे हैं कि महिला सशक्तीकरण उनके एजेंडे में क्यों नहीं है। वर्तमान लोकसभा में 15% महिला सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में 12.2% हैं। तृणमूल नेता का तर्क है कि यह वैश्विक औसत 25.5% से बहुत कम है।