पूजा ने आरोपों को नकारा, कहा- आयोग को उम्मीदवारी रद्द करने का कोई अधिकार नहीं
New Delhi news: दिल्ली हाई कोर्ट ने आज बर्खास्त ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर केस की सुनवाई 5 सितंबर तक टाल दी है। पूजा के द्वारा कोर्ट में दिए ज़वाब पर विचार करने एवं नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस ने और समय मांगा है। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने पुलिस को निर्देश दिया कि आगे की कारवाई लंबित रहने तक पूजा की गिरफ्तारी नहीं की जाए।
इस केस में 28 अगस्त को जवाब दाखिल करते ही पूजा ने खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए यूपीएससी को ही कटघरे में खड़े करने की कोशिश की । यूपीएससी पर पलटवार करते हुए कहा कि शैक्षिक निकाय के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने की कोई शक्ति नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने ऊपर यूपीएससी के द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में पूजा खेडकर ने कहा कि एक बार परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में चयनित और नियुक्त होने के बाद, यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने नाम में कोई हेरफेर नहीं किया है या कोई गलत जानकारी नहीं दी है। इस दलील के बाद अदालत ने यूपीएससी के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी जवाब देने के लिए समय दिया।
दिल्ली पुलिस ने कहा, आरोपी को कोई भी राहत “गहरी साजिश” की जांच में बाधा उत्पन्न करेगी
यूपीएससी के द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में पूर्व आईएएस प्रोबेशनर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया था। कोर्ट से कहा गया था कि उसने आयोग और जनता के खिलाफ धोखाधड़ी की है। दिल्ली पुलिस ने भी इस आधार पर गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज करने की मांग की थी। पुलिस की दलील थी कि आरोपी को कोई भी राहत “गहरी साजिश” की जांच में बाधा उत्पन्न करेगी और इस मामले का सार्वजनिक विश्वास के साथ-साथ नागरिक की अखंडता पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। जबकि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अदालत में दायर अपने जवाब में कहा कि धोखाधड़ी की भयावहता का पता लगाने के लिए खेडकर की हिरासत में पूछताछ आवश्यक थी,जो अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना नहीं की जा सकती थी। अतः उसकी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए।
कथित गलत जानकारी को लेकर खेडकर की उम्मीदवारी हुई थी रद्द
गौरतलब है कि पूजा खेडकर ने आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2022 मे भरे गए अपने आवेदन में कथित तौर पर गलत जानकारी दी थी। इस मामले की खबर सामने आने के बाद 31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से रोक दिया था। जबकि दिल्ली पुलिस ने उनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसके विरुद्ध खेड़कर अदालत पहुंची है।