Janta is janardan in democracy. It is only for saying. Reality is different. लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। यह कहने में बहुत खूबसूरत लगता है, लेकिन यह सिर्फ कहने भर की बात है, हकीकत इतर है। भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में कॉरपोरेट की ताकत का असर पहले भी था और आज भी है। कॉरपोरेट का मतलब सिर्फ सत्ता का साथ होता है। सत्ता भी अगर कॉरपोरेट के साथ न हो तो सत्ता को उखड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लग सकता। एक जमाने में जब कांग्रेस सत्ता में थी तो सबसे ज्यादा उसे कॉरपोरेट का चंदा मिलता था। आज मजबूती से भाजपा सत्ता में है, तो कॉरपोरेट का चंदा उसके लिए बरस रहा है। कांग्रेस फिसड्डी साबित हो चुकी है और देश की कम्युनिस्ट पार्टियों का क्या कहना। उन्हें कॉरपोरेट से शायद फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। क्षेत्रिय पार्टियों को भी कॉरपोरेट का चंदा मिल रहा है,लेकिन बहुत ही अल्प। वास्तव में सत्ता के दबाव में ही कॉरपोरेट राजनीतिक दलों को चंदा निर्धारित करता है।
साल 2019-20 में बीजेपी को मिले 720.407 करोड़ रुपये
मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि कॉरपोरेट और व्यावसायिक संगठनों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय पार्टियों को ₹921.95 करोड़ रुपये का चंदा दिया। भाजपा को सबसे ज्यादा 720.407 करोड़ रुपये मिले। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया -मार्क्सिस्ट (CPM) ने इस अवधि में कॉरपोरेट चंदे से कोई आय नहीं दर्शाई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
डोनेशन में 109% का इजाफा
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बीच कॉरपोरेट्स से राष्ट्रीय पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में 109 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को पार्टियों की ओर से एक वित्तीय वर्ष में 20,000 रुपये से अधिक का चंदा देने वाले दानकर्ताओं की जानकारी पर तैयार किया गया है।
पांच दलों के चंदे का विश्लेषण
एडीआर ने पांच दलों के चंदे का विश्लेषण किया है। इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया – मार्क्सिस्ट (CPM) शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2019-20 में बीजेपी और कांग्रेस को सबसे ज्यादा डोनेशन दिया। ट्रस्ट ने एक साल में ही दोनों पार्टियों को 38 बार चंदा दिया, जो कुल 247.75 करोड़ रुपये था।