New Delhi new : केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केन्द्र सरकार में लेटरल एन्ट्री के सम्बन्ध में जारी विज्ञापन पर रोक लगाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णय का स्वागत किया है। वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार पुन: बेहद महत्त्वपूर्ण निर्णय द्वारा प्रतिस्थापित किया है। यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के लिए एक बेहद पारदर्शी तरीका अपनाया था। उसमें भी अब आरक्षण का सिद्धांत लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखायी है।
पहले ओबीसी आयोग एक साधारण बॉडी थी, हमने उसे संवैधानिक दर्जा दिया
वैष्णव ने मीडिया से कहा कि पहले ओबीसी आयोग, जो एक साधारण बॉडी थी, हमने उसे संवैधानिक दर्जा दिया। नीट हो, मेडिकल एडमिशन हो, सैनिक विद्यालय या नवोदय विद्यालय हों ; हमने सभी जगह आरक्षण के सिद्धांत को लागू किया है। यही नहीं, हमने डॉ. अम्बेडकर के पंच तीर्थ को भी गौरवपूर्ण स्थान दिलाया है। आज बेहद गौरव की बात है कि राष्ट्रपति भी आदिवासी समाज से आती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सैचुरेशन प्रोग्राम के तहत देश के अंतिम व्यक्ति तक सभी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है। इसका अधिकतम लाभ हमारे एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोगों को मिल रहा है।
पहले कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार में आरक्षण के सिद्धांत का कोई ध्यान नहीं रखा जाता था
उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर उसे न्याय दिलाने की प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता आज के लेटरल एंट्री को लेकर निर्णय में भी झलकती है। वर्ष 2014 से पहले कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार में आरक्षण के सिद्धांत का कोई ध्यान नहीं रखा जाता था। फाइनेंस सेक्रेटरी लेटरल एंट्री द्वारा लिये जाते थे और रिजर्वेशन के प्रिंसिपल को ध्यान में नहीं रखा जाता था। डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया और उससे पहले डॉ. विजय केलकर भी लेटरल एंट्री द्वारा ही फाइनेंस सेक्रेटरी बने थे। क्या कांग्रेस ने उस वक्त रिजर्वेशन के प्रिंसिपल का ध्यान रखा था? यूपीएससी में लेटरल एंट्री द्वारा ट्रांसपेरेंसी लायी जा रही थी और अब उसमें रिजर्वेशन का प्रिंसिपल लाकर सोशल जस्टिस का ध्यान रखते हुए संविधान के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट की गयी है।