राहुल ने महाराष्ट्र को बताया कांग्रेस की विचारधारा का गढ़
सांगली में स्वर्गीय पतंगराव कदम की आदमकद प्रतिमा का अनावरण
Mumbai News : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को सांगली में कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस की विचारधारा का गढ़ है। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू, फुले, अम्बेदकर सभी ने न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश को प्रेरित किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सांगली में स्वर्गीय पतंगराव कदम की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पतंगराव कदम ने विकास और शिक्षा का काम किया। वह जीवन भर कांग्रेस पार्टी के साथ पूरे दिल से खड़े रहे। चुनाव हारने के बाद भी पंतगाराव कदम इंदिरा गांधी के साथ थे। राहुल गांधी ने कहा, ‘जब मैं महाराष्ट्र आता हूं, तो मुझे लगता है कि यह क्षेत्र हमारी विचारधारा का गढ़ है। यह विचारधारा आपके डीएनए में है। आज आपके देश भारत में विचारधारा की लड़ाई चल रही है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी की विचारधारा है और दूसरी तरफ भाजपा है। हम सामाजिक विकास चाहते हैं। हमें सबको जोड़ कर आगे बढ़ना है।’ वे चुनाव में चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। वे चाहते हैं पिछड़े-पिछड़े रहें। वे चाहते हैं कि दलित दलित ही रहें। वे चाहते हैं कि जातिगत ढांचा जस का तस बना रहे। राहुल गांधी ने कहा, ‘यह हमारे बीच की लड़ाई है।’ वे नफरत फैलाते हैं। एक धर्म को दूसरे धर्म से, एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाया जाता है। मणिपुर को देखिए, भारत के इतिहास में पहली बार गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हुई है।
देश के युवाओं को नुकसान,अडानी-अंबानी को फायदा
राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग रोजगार चाहते हैं, उन्हें अब रोजगार नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि जो कम्पनियां रोजगार दे रही थीं, वे बंद हो गयी हैं। अंबानी और अडानी देश को रोजगार नहीं दे सकते, रोजगार तो छोटे उद्यमी, मध्यम उद्यमी ही दे सकते हैं। भारत में एक नया मॉडल आया है। जो माल चीन से आता है, वही माल दस-बारह अरबपति बेचते हैं। मेड इन महाराष्ट्र, मेड इन इंडिया कहीं नजर नहीं आता। नुकसान देश के युवाओं का हो रहा है। अडानी-अंबानी को फायदा हो रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि दो हिन्दुस्तान बन गये…एक अरबपति और एक गरीब आदमी। एक हिन्दुस्तान होना चाहिए। बैंकों ने अरबपतियों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, हमारी मांग है कि बैंकों को गरीबों के लिए भी अपने दरवाजे खोलने चाहिए।