कमाल का है भारतीय मीडिया और कमाल की है यहां की पत्रकारिता। कुछ दिन ही हुए होंगे, यह खबर तेजी से फैलाई गई कि भारतीय नोटों से अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर हटा दी जाएगी। पता नहीं आखिर किस स्रोत से इस तरह की खबर किसी को हाथ लग गई और अफवाह के रूप में इसे फैला दिया गया। क्या अफवाह फैलाना ही पत्रकारिता है। हां, इस विषय को लेकर मोदी सरकार के मन में कुछ है और मीडिया का कुछ हिस्सा सरकार के मन तक पहुंच गया, तो यह अलग से बहस का मुद्दा हो सकता है। इस खबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गंभीरता से लिया। मीडिया में आई ऐसी रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा है कि बैंक के पास नोटों से महात्मा गांधी का चेहरा हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
RBI ने विज्ञप्ति जारी कर ऐसी रिपोर्टों को खारिज किया
RBI ने 6 जून को जारी विज्ञप्ति में कहा कि मीडिया में ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि केंद्रीय बैंक करेंसी नोटों से महात्मा गांधी का चेहरा हटाकर किसी और का चेहरा इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर रहा है। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
नए नमूने की बात
गौरतलब है कि मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधीन सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने IIT दिल्ली के दिलीप शाहनी को महात्मा गांधी, रविंद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम के वॉटरमार्क इमेज वाले करेंसी नोट का नमूना भेजा था। सोशल मीडिया पर ये इमेज वायरल हो चुके हैं। हो सकता है, इसे ही आधार बनाकर खबर चला दी गई, लेकिन मूल सवाल यह है की आंखिर इमेज वायरल हुआ कैसे, किसने किया, हर भारतीय नागरिक को यह जानने का अधिकार है और मोदी सरकार को इसका खुलासा करना चाहिए।