Film is film. It can never be 100% reality. फिल्म बस एक फिल्म है। यह किसी विषय की सौ फीसदी सच्चाई कभी नहीं हो सकती। उसकी सीमा है। उसका अपना एक कलात्मक एंगल है। सराहना के साथ उसकी आलोचना स्वाभाविक है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को भी इसी कसौटी के आधार पर देखा जाना चाहिए। इस फिल्म पर मचे हो-हल्ले और विवाद के बीच जम्मू और कश्मीर पुलिस ने अनटोल्ड कश्मीर फाइल्स (Untold Kashmir Files) जारी की है। 57 सेकेंड के इस वीडियो क्लिप को जारी करते हुए पुलिस की ओर से दावा किया गया है कि घाटी में हर मजहब के लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं। पुलिस की तरफ से जारी इस क्लिप का मकसद यह रेखांकित करना है कि कैसे सभी कश्मीरी (आस्था से परे) उग्रवाद के शिकार हुए थे।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ को अधिकारी ने बताया
‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ को जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने इस शॉर्ट क्लिप के बारे में बताया, “यह नागरिकों तक पहुंचने का एक प्रयास है कि हम उनके दर्द को समझते हैं और आतंकवाद के खिलाफ हम सभी इस लड़ाई में एक साथ हैं।” यह वीडियो 31 मार्च, 2022 को जम्मू-कश्मीर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया गया था। संयोग से (चार अप्रैल को) घाटी में प्रवासियों और कश्मीरी पंडितों पर हमलों में एक नयी तेजी देखी गई। इसके बाद इस वीडियो क्लिप की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को समझने के प्रति हमें एक तार्किक बुद्धि भी देती है।
कश्मीरी पंडितों की पीड़ा
अफसर के अनुसार, ‘द कश्मीर फाइल्स’ कश्मीरी पंडितों की पीड़ा और दुर्दशा पर केंद्रित है, लेकिन यहां कई लोगों को लगता है कि फिल्म घाटी में आतंकवाद के कारण कश्मीरी मुसलमानों की पीड़ा को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है।