RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आजकल अपने राष्ट्रवादी दर्शन का लेक्चर लोगों को जोर-शोर से पिलाने में व्यस्त है। वह अपने एजेंडे को सत्ता की धुरी बनकर न्यू इंडिया की अपनी फिलॉसफी की तस्वीर मजबूत करने में लगा है। थोड़ी सी बुद्धि रखने वाले भी इसे आसानी से समझ सकते हैं। भक्त बन कर कदापि नहीं। संघ प्रमुख सर्वश्री मोहन भागवत जी का कहना है कि देश के राजनीतिक दल यदि हिंदुत्व को अपनाना चाहते हैं, तो वे मूल्य आधारित (Value based) राजनीति करें। भाजपा कितनी मूल्य आधारित राजनीति पिछले 8 वर्षों से कर रही है, यह अलग से बताना आवश्यक नहीं है। भागवत जी ने यह बात हिंदुत्व को लेकर आ रहे गैर भाजपा नेताओं के बयानों पर कटाक्ष के रूप में कही है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की चिंतन बैठक में उन्होंने यह बातें कही।
सभी अहिंदू हिंदू पूर्वजों की संतान
अपनी राष्ट्रवादी फिलॉसफी की पुरजोर वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में जो अहिंदू हैं, वह हिंदू पूर्वजों की संताने हैं। वे लोग मानें या ना मानें। भागवत जी का तात्पर्य यह है कि उन्हें न मानते हुए भी भारत में रहना है तो मानना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा, न राष्ट्र बदला है और न पुरखे। सिर्फ हिंदुओं की पूजा पद्धति और तौर-तरीके तथा परंपराएं बदली हैं, इसलिए सभी हिंदू हैं।