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संजय राऊत ने पार्टी और चुनाव चिह्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख को बताया संविधान की हत्या

संजय राऊत ने पार्टी और चुनाव चिह्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख को बताया संविधान की हत्या

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Mumbai news : शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राऊत ने पार्टी और चुनाव चिह्न की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित की जाने से नाराज होकर सोमवार को कहा कि हमें मिलनेवाली हर तारीख संविधान की हत्या है। संजय राऊत ने यह भी कहा कि कोर्ट, गृह मंत्रालय और पीएमओ गद्दार विधायकों को बढ़ावा दे रहे हैं। संजय राऊत ने कहा कि अब लोगों को संदेह होने लगा है कि हमारी अदालतें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में काम कर रही हैं।

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खरीद-फरोख्त कर सरकार चलायी जा रही

संजय राऊत ने पत्रकारों से कहा कि हर चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार चलायी जा रही है। इसके लिए देश की न्यायपालिका जिम्मेदार है। शिवसेना की याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई होनी थी। इसे 14 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया। इससे विधायकों का हौसला बढ़ रहा है। संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में हुई क्रॉस वोटिंग न्यायपालिका और दलबदल कानूनों की खामियों के लिए जिम्मेदार है। उनके कारण गद्दारों का डर कम हो गया है।’ एक पार्टी के टिकट पर निर्वाचित होना और सरकार में शामिल होना, करोड़ों रुपये लेना और दूसरी पार्टी को वोट देना चल रहा है। अगर आप इसके खिलाफ अदालत में अपील करते हैं, तो वे तारीख पर तारीख देते हैं। भले ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा हो कि महाराष्ट्र में सरकार असंवैधानिक और अवैध है, लेकिन यह संविधान और लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है। सरकार संविधान हत्या दिवस मनायेगी।

संजय राऊत ने कहा कि यह सही है कि कांग्रेस ने गद्दारों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है। 

गद्दार विधायकों पर 200 करोड़ रुपए लुटाए गये

हम और एनसीपी भी कह रहे हैं कि संविधान की अनुसूची 40 के अनुसार न्याय मिलना चाहिए, लेकिन हमें केवल तारीखें दी जाती हैं। संजय राऊत ने कहा कि गद्दार विधायकों पर 200 करोड़ की धनराशि लुटायी गयी। 10 से 25 करोड़ तक की नकद रकम दी गयी। क्रॉसवोटिंग करनेवाले कुछ विधायकों को जमीन दी गयी है। क्या ये सब संविधान सम्मत है? 25 जून संविधान हत्या दिवस परिपत्रक जारी किया गया है, तो फिर केन्द्र सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि महाराष्ट्र की सरकार संविधान के मुताबिक है या नहीं।

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