Surveillance through helicopters and drones in Poonch, extensive search operation in Surankote area, Top National news, National update, New Delhi news, latest National Hindi news : जम्मू के पुंछ इलाके में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में 04 जवानों के बलिदान होने के बाद इस इलाके की हेलीकॉप्टर और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। इलाके के वन क्षेत्रों में लगभग 25-30 पाकिस्तानी आतंकवादियों के छिपे होने की आशंका है। खुफिया इनपुट में कहा गया है कि ये आतंकवादी जंगल युद्ध में उच्च प्रशिक्षित हैं और डिजिटल निशानों से बचने के लिए संचार के आफलाइन तरीकों का भी उपयोग करते हैं। इसलिए सुरक्षा बलों ने जमीनी स्तर पर सुरनकोट इलाके में व्यापक सर्च आपरेशन शुरू किया है।
आतंकी हमले में सेना के 04 जवान शहीद हो गये थे
राजौरी जिले के डेरा की गली वन क्षेत्र में गुरुवार शाम हुए आतंकी हमले में सेना के 04 जवान शहीद हो गये। इस हमले में सेना के तीन अन्य जवान घायल हो गये, जिनका इलाज आर्मी बेस हॉस्पिटल में चल रहा है। भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने इलाके में आतंकियों की तलाश के लिए एक संयुक्त अभियान चलाया है, जहां कल सेना के दो वाहनों पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने घात लगा कर हमला किया था। डेरा की गली के घने जंगलों में जमीनी सर्च आॅपरेशन के अलावा आसमान से हेलीकॉप्टर और ड्रोन के जरिये निगरानी हो रही है। जांच के दौरान सेना ने डेरा की गली से कुछ स्थानीय संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि 21 दिसम्बर को दिन में करीब 3.45 बजे सेना के दो वाहन सैनिकों को लेकर इलाके में आतंकियों के खिलाफ चल रहे सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के संयुक्त अभियान को मजबूत करने जा रहे थे। यह आपरेशन 48 राष्ट्रीय राइफल्स की निगरानी वाले क्षेत्र में हो रहा है। इन दोनों सैन्य वाहनों पर आतंकियों ने राजौरी के थानामंडी इलाके में डेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर गोलीबारी की। भारतीय सैनिकों ने तुरंत गोलीबारी का जवाब दिया, जिसके बाद आतंकियों से मुठभेड़ शुरू हुई।
आतंकियों ने रेकी की थी
सेना के सूत्रों का कहना है कि राजौरी में जिस तरह सेना की गाड़ियों पर हमले को अंजाम दिया गया है, उससे सम्भावना जतायी जा रही है कि आतंकियों ने रेकी की थी। इसीलिए वे खुद पहाड़ी के ऊपर सुरक्षित हो गये और वहां से सेना के वाहनों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। बताया गया है कि जहां इस हमले को अंजाम दिया गया, वहां अंधा मोड़ और ऊबड़-खाबड़ सड़क होने के कारण वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है। इस हमले में शहीद हुए चारों सेना के जवानों के हथियार गायब मिले हैं, जिससे आशंका है कि आतंकी इनके हथियार अपने साथ ले गये होंगे। घटनास्थल से सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट और गोलियों से छलनी 02 वाहन बरामद हुए हैं।
खुफिया इनपुट में बताया गया है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि क्षेत्र के वन क्षेत्रों में चारों ओर 25-30 पाकिस्तानी आतंकवादी सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए पुंछ राजौरी सेक्टर के ऊपरी इलाकों के जंगली क्षेत्रों में छिपे हुए हैं। दरअसल, भारत ने 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए पुंछ सेक्टर से ही राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को लद्दाख में स्थानांतरित किया था। जम्मू-कश्मीर के वन क्षेत्र में चल रही आतंकी गतिविधियां भारतीय सेना पर लद्दाख सेक्टर से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए पाकिस्तान और चीन की ओर से दबाव डालने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है।
एनआईए ने आतंकवादी हमले के स्थल का किया दौरा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादी हमले के स्थल का दौरा किया। गुरुवार को पुंछ में आतंकवादियों ने डेरा के वन क्षेत्र में सेना के वाहनों पर घातक हमला किया, जिसमें सेना के पांच जवान बलिदान हो गये थे और दो गम्भीर रूप से घायल हो गये थे। जानकारी के अनुसार एक उप महानिरीक्षक के साथ-साथ एक पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में केन्द्रीय एजेंसी की एक विशेष टीम साइट के दौरे के निष्कर्षों की निगरानी करेगी। एनआईए ने हमले की गम्भीरता का संज्ञान लेते हुए उस हमले वाले स्थान का दौरा करने के लिए अपनी टीम भेजने का फैसला किया है।
चार सुरक्षाकर्मी बलिदान हुए थे
गुरुवार दोपहर को पुंछ जिले के डेरा की गली के वन क्षेत्र में सेना के दो वाहनों पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा घात लगा कर किये गये हमले में चार सैन्यकर्मी बलिदान हो गये, जबकि दो अन्य घायल हो गये। सुरक्षाकर्मी डेरा की गली के वन क्षेत्र में तलाशी अभियान चला रहे हैं।
हाल ही में एनआईए ने इस साल सितंबर में अनंतनाग जिले के कोकेरनाग मुठभेड़ मामले को अपने हाथ में ले लिया है, जिसमें भारतीय सेना के एक कर्नल, एक मेजर और एक सैनिक, जे-के पुलिस के एक डीएसपी बलिदान और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी उजैर खान मारा गया था। यह आॅपरेशन छह दिन बाद 19 सितम्बर को पूरा हुआ था।