अटल बिहारी बाजपेई मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा इस बार राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार हो सकते हैं। ताजा आकलन ऐसा बता रहा है। गौरतलब है कि इसके पहले शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार कर चुके हैं। इसके बाद यशवंत सिन्हा की ओर से तृणमूल कांग्रेस छोड़ने की पेशकश से यह चर्चा तेज हो गई है कि उन्हें इस बार राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। एक सोशल मीडिया पोस्ट कर उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि वे राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान ऐसे वक्त आया, जब विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का नाम तय करने जा रहे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए यशवंत सिन्हा का नाम सुझा सकती हैं।
अपने पोस्ट में यशवंत सिन्हा ने लिखा है
सिन्हा ने पोस्ट में कहा, ‘ममता जी ने TMC में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है कि मैं एक बड़े उद्देश्य के लिए पार्टी से अलग हो जाऊं ताकि विपक्ष को एकजुट करने के लिए काम कर सकूं। मुझे उम्मीद है कि ममता जी मेरे इस कदम को स्वीकार करेंगी।’
नामांकन 29 जुलाई तक
15 जून को नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जुलाई है। अगर चुनाव कराने की जरूरत पड़ती है, तो यह 18 जुलाई को कराए जाएंगे और 21 जुलाई को नतीजे आ जाएंगे।
यशवंत सिन्हा बन सकते हैं विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार:TMC छोड़ने की पेशकश करते हुए कहा- बड़े उद्देश्य के लिए अलग होना चाहता हूं
नई दिल्ली44 मिनट पहले
पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी से इस्तीफा देने की पेशकश की है। एक सोशल मीडिया पोस्ट कर उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि वे राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
उनका यह बयान ऐसे वक्त आया जब विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का नाम तय करने जा रहे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए यशवंत सिन्हा का नाम सुझा सकती हैं।
सिन्हा ने लिखा- मैं ममता जी का आभारी हूं
सिन्हा ने पोस्ट में कहा, ‘ममता जी ने TMC में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है कि मैं एक बड़े उद्देश्य के लिए पार्टी से अलग हो जाऊं ताकि विपक्ष को एकजुट करने के लिए काम कर सकूं। मुझे उम्मीद है कि ममता जी मेरे इस कदम को स्वीकार करेंगी।’
बड़े नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव से नाम वापस लिया
अब तक कई बड़े नेता राष्ट्रपति चुनाव की रेस से पीछे हट चुके हैं। पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम वापस लिया था। उनसे पहले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला ने भी विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया था।
नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जुलाई
15 जून को नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जुलाई है। अगर चुनाव कराने की जरूरत पड़ती है, तो यह 18 जुलाई को कराए जाएंगे और जुलाई में ही नतीजे आ जाएंगे।
यशवंत सिन्हा का करियर और राजनीतिक जीवन
यशवंत सिन्हा 1960 में इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस से जुड़े। 24 साल तक विभिन्न पदों और विभागों में सेवा दी।
1984 में उन्होंने IAS से रिजाइन देकर जनता पार्टी जॉइन की।
1986 में उन्हें पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव बनाया गया।
1988 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर चुना गया।
1989 में जनता दल के गठन के समय उन्हें महासचिव बनाया गया।
नवंबर 1990 से जून 1991 के बीच चंद्रशेखर के कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे।
जून 1996 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने।
1998, 1999 और 2009 में झारखंड की हजारीबाग सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए।
मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री बने।
1 जुलाई 2002 को विदेश मंत्रालय का जिम्मा मिला।
2004 के लोकसभा चुनावों में हजारीबाग सीट से हार का सामना करना पड़ा।
13 जून, 2009 को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।
2018 में पार्टी की खराब स्थिति का हवाला देते हुए भाजपा छोड़ दी। तब उन्होंने कहा था कि देश में डेमोक्रेसी खतरे में है। इसके बाद उन्होंने टीएमसी ज्वाइन की।