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SOCIAL CURSE : 3 माह की बच्ची का 1 सप्ताह में 7 बार किया गया सौदा, दादी ने की शिकायत तो पुलिस ने…

SOCIAL CURSE : 3 माह की बच्ची का 1 सप्ताह में 7 बार किया गया सौदा, दादी ने की शिकायत तो पुलिस ने…

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Either male or female, child is child. बच्चा बच्चा है, चाहे वह लड़का हो या लड़की। समाज में अगर किसी के मासूम बच्चे की बिक्री होने या सौदा करने की घटना सामने आती है तो यह व्यक्ति के जीवन का नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए अभिशाप है। समाज के दामन पर यह अमिट दाग है। ऐसा ही एक मामला आंध्र प्रदेश के मंगलागिरी में सामने आया है। यहां एक तीन महीने की बच्ची को बेचने का मामला उजागर हुआ है। इस मासूम को एक सप्ताह में करीब 7 बार बेचा गया। मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि बच्ची की यह खरीद फरोख्त किसी गिरोह ने नहीं, बल्कि उसके अपने पिता एम मनोज ने की थी। पिता ने बच्ची को महज 70 हजार में इसलिए बेच दिया, क्योंकि उसे शराब के लिए पैसे चाहिए थे। यह बच्ची आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई जिलों के लोगों को बेची गई।

पुलिस ने 11 आरोपियों को दबोचा

बच्चे की दादी की शिकायत पर पुलिस ने लड़की के पिता एम मनोज सहित 11 लोगों को अरेस्ट किया है। इनमें नागलक्ष्मी, गायत्री, बी नंदू, बी बाला वर्धी राजू नाइक, एसके नूरजहां, ए उदय किरण, बी उमादेवी, पी श्रावणी, जी विजयलक्ष्मी और वी रमेश शामिल हैं। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 372 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि लड़की की मां को बच्ची को बेचे जाने की खबर थी, लेकिन वह चुप रही, क्योंकि उसके पति मनोज ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने इस बारे में अपना मुंह खोला तो बुरा अंजाम होगा। हालांकि, वह अपराध में शामिल नहीं थी।

बच्ची को ढाई लाख रुपये में खरीदने वाला आखरी व्यक्ति था वी रमेश

मंगलागिरी के डीएसपी जे रामबाबू के अनुसार, गनलैयापेट का एम मनोज के दिहाड़ी मजदूर है। शराबी पिता अपनी तीन बेटियों की परवरिश करने में लाचार था, इसलिए उसने अपनी सबसे छोटी बच्ची को बेचने का फैसला किया। उसने नलगोंडा की एक महिला गायत्री को नागलक्ष्मी के जरिए 70 हजार रुपए में बेचा। इस बात से बेखबर बच्ची की दादी ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। बच्ची का पता लगाने के लिए स्पेशल टीम बनाई गई थी। 2.50 लाख रुपये में बच्ची को खरीदने वाला वी रमेश आखिरी व्यक्ति था। जांच से पता चला है कि बच्ची की खरीद-फरोख्त में शामिल सभी लोग किसी तस्करी रैकेट का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने यह काम ज्यादा पैसा कमाने के लिए किया।

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