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सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर टैक्स मामले में सुनाया फैसला, कहा- खनिजों पर अब राज्य भी वसूलेंगे रॉयल्टी 

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राज्यों को भी है टैक्स लगाने का पूरा अधिकार

New Delhi news : खनिजों पर टैक्स वसूलने के मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की 09 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया है। सीजेआई ने कहा है कि बेंच ने 8:1 के बहुमत से फैसला किया है कि खनिजों पर लगनेवाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जायेगा। सीजेआई ने कहा है कि माइंस और मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट राज्यों के टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदानों की जमीन पर टैक्स वसूलने का पूरा अधिकार है। खदानों और खनिजों पर केन्द्र की ओर से अब तक टैक्स वसूली के मुद्दे पर 31 जुलाई को सुनवाई होगी।

दरअसल, अलग-अलग राज्य सरकारों और खनन कम्पनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 86 याचिकाएं पहुंची थीं। कोर्ट को तय करना था कि मिनरल्स पर रॉयल्टी और खदानों पर टैक्स लगाने के अधिकार राज्य सरकार को होने चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में 08 दिन तक चली सुनवाई में केन्द्र ने कहा था कि राज्यों को यह अधिकार नहीं होना चाहिए। अदालत ने 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान में खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल संसद को ही नहीं है, बल्कि राज्यों को भी दिया गया है। ऐसे में उनके अधिकार को दबाया नहीं जा सकता है। 09 जजों की बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस आॅगस्टीन जॉर्ज शामिल थे। इनमें से जस्टिस बीवी नागारत्ना की बाकी जजों से अलग राय थी। बीवी नागरत्ना का मानना है कि राज्यों को टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं देना चाहिए। इससे इन राज्यों में कॉम्पीटिशन बढ़ेगा।

राज्यों को टैक्स लगाने का अधिकार दिया, तो महंगाई बढ़ेगी : केन्द्र

केन्द्र ने कहा था कि अगर राज्यों को टैक्स लगाने का अधिकार दिया, तो राज्यों में महंगाई बढ़ेगी। खनन क्षेत्र में एफडीआई में दिक्कतें आयेंगी। इससे भारतीय मिनरल्स महंगे होंगे और इंटरनेशनल मार्केट में कॉंम्पीटिशन घटेगा। केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामा में खनिज पर रॉयल्टी से अधिक टैक्स लगाने का विरोध किया था। केन्द्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुनवाई के दौरान तर्र्क  दिया था…केन्द्र के पास खदान और खनिजों पर टैक्स लगाने की ज्यादा शक्तियां हैं। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि खदान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम राज्यों को खनिजों पर टैक्स लगाने से रोकती है। मिनरल्स पर रॉयल्टी तय करने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार के पास है। खनन मंत्रालय ने भी कहा था कि बिजली, स्टील, सीमेंट, एल्यूमीनियम आदि के लिए कच्चा माल खनिजों से मिलता है। इसलिए अगर राज्यों ने रॉयल्टी से अलग टैक्स लगाया, तो पूरे देश में महंगाई बढ़ेगी।

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