Supreme Court (सर्वोच्च न्यायालय) सुप्रीम कोर्ट ने 25 March को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह एक प्रचार हित याचिका ज्यादा लग रही है। इस तरह की याचिकाओं से धार्मिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा रहता है।
याचिकाकर्ता बिगाड़ रहे सौहार्द
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस तरह की याचिका से सिर्फ सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि इस याचिका को एक कीमत के साथ रद्द किया जाएगा। हालांकि, इस पर याचिकाकर्ता की वकील सीआर जया सुकीन ने कहा कि वह खुद ही याचिका को वापस लेना चाहती हैं। बाद में कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई को रद्द करते हुए इसे वापस लेने की मांग मंजूर कर ली।
यह था मामला
याचिकाकर्ता ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के पिछले साल मार्च में एक जनहित याचिका पर सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी। तब हाई कोर्ट से मांग की गई थी कि वह ईसाई मिशनरीज की ओर से किए जा रहे जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने और उस पर निगरानी के लिए केंद्र और तमिलनाडु सरकार को बोर्ड का गठन करने का निर्देश दे। इस मामले पर हाई कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि तमिलनाडु सरकार के पास पहले से ही जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून है। इसके जरिए जबरन धर्म परिवर्तन के अलावा गलत तरीके से कराए गए धर्म परिवर्तन के खिलाफ भी सुरक्षा मिलती है।