Supreme verdict in Bilkis Bano case, Gujarat government’s decision of premature release of convicts cancelled : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की समय से पहले रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार को नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार को रिहाई के बारे में फैसला लेने का अधिकार है। अपराध भले ही गुजरात में हुआ हो, लेकिन महाराष्ट्र में ट्रायल चलने के कारण फैसला लेने का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम छूट की नीति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि केवल इन लोगों को दी गयी छूट पर सवाल उठा रहे हैं। सुनवाई के दौरान दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि आजीवन कारावास की सजा पानेवाले प्रत्येक व्यक्ति को सुधार का मौका भी दिया जाता है, तो अपराध जघन्य होने के आधार पर सुधार को बंद नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि हम दूसरे सवाल पर हैं कि छूट देना सही है या नहीं। हम छूट की अवधारणा जो सर्वमान्य है, उसको समझते हैं। लेकिन, यहां हमारा सवाल सजा की मात्रा पर नहीं है। हम पहली बार छूट के मामले से नहीं निपट रहे हैं। तब लूथरा ने कहा कि 15 साल की हिरासत का जीवन पूरी तरह से कटा हुआ जीवन है।
जब गोधरा के कोर्ट में मुकदमा नहीं चला
24 अगस्त 2023 को कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि दोषियों की रिहाई पर प्राधिकरण ने स्वतंत्र विवेक का इस्तेमाल कैसे किया? आखिरकार प्राधिकरण कैसे रिहाई देने की सहमति पर पहुंचा? 17 अगस्त 2023 को कोर्ट ने गुजरात सरकार से सख्त लहजे में पूछा था कि रिहाई की इस नीति का फायदा सिर्फ बिलकिस के गुनहगारों को ही क्यों दिया गया? जेल कैदियों से भरी पड़ी है। बाकी दोषियों को ऐसे सुधार का मौका क्यों नहीं दिया गया? कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि नयी नीति के तहत कितने दोषियों की रिहाई हुई? बिलकिस के दोषियों के लिए एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी ? जब गोधरा के कोर्ट में मुकदमा नहीं चला, तो वहां के जज से राय क्यों मांगी गयी? 09 अगस्त को बिलकिस की ओर से कहा गया था कि नियमों के तहत उन्हें दोषी ठहरानेवाले जज से राय लेनी होती है, जिसमें महाराष्ट्र के दोषी ठहरानेवाले जज द्वारा कहा गया था कि दोषियों को छूट नहीं दी जानी चाहिए।
आदेश पर दोबारा विचार किया जाये
दिसम्बर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई से जुड़े मामले में दायर बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। बिल्किस बानो की पुनर्विचार याचिका में मांग की गयी थी कि 13 मई 2022 के आदेश पर दोबारा विचार किया जाये। 13 मई 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई है।
बिलकिस बानो के संघर्ष की हुई जीत: कांग्रेस
कांग्रेस ने बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा है कि यह निर्णय बिलकिस बानो के संघर्ष की जीत है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर लिखा कि चुनावी फायदे के लिए ‘न्याय की हत्या’ की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है। बिलकिस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी भाजपा सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंतत: न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। प्रियंका ने कहा कि बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई।