ज्ञानवापी परिसर में लगातार दूसरे दिन यानी शनिवार को भी सर्वे और वीडियोग्राफी को लेकर पूरे दिन गहमागहमी रही। दिन के दूसरे पहर में प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कोर्ट कमिश्नर को हटाने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने अर्जी लगा सर्वे रोकने का पूरा प्रयास किया। अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। इसके बाद सुनवाई की अगली तिथि 09 मई मुकर्रर की। वैसे इस मामले में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट के बाद ही माहौल गरमाया।
क्यों नहीं हुआ सर्वे का काम
अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दिए गए प्रार्थना पर सुनवाई करते हुए वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर से आपत्ति प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इसके बाद कोर्ट कमिश्नर और वादी पक्ष के अधिवक्ता कड़ी सुरक्षा के बीच ज्ञानवापी पहुंचते तो मस्जिद कमेटी के लोगों ने उन्हें अन्दर जाने ही नहीं दिया। इस कारण सर्वे का काम नहीं हो पाया।
अदालत के आदेश का नहीं हो रहा पालन
खास बात ये रही कि अधिवक्ता कमिश्नर और वादी पक्ष के पहुंचने के बाद लगभग एक घंटा देर से आये प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी उन्हें बैरिकेटिंग के अंदर पहुंचने ही नहीं दिया। इससे नाराज वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था लेकिन उसका पालन नहीं हुआ । हमें वहां पहुंचने ही नहीं दिया गया। मुस्लिम समुदाय के लोग दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। इस तरह सर्वे फिर रुक गया है।
वादी पक्ष के अधिवक्ता बोले- याचिका दायर करेंगे
वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने बताया कि कोर्ट में वे एक याचिका दायर करेंगे। 9 मई को सुनवाई में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे। वादी राखी सिंह सहित अन्य महिलाओं ने भी इसको लेकर विरोध जताया। मीडिया कर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि न्यायालय का सहारा लेंगे। सच सामने आकर रहेगा। इससे पहले सर्वे के लिए अधिवक्ता कमिश्नर और वादी पक्ष की टीम पहुंची तो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नम्बर चार के पास जुटे मुस्लिम युवाओं ने फिर उग्र नारेबाजी शुरू कर दी। माहौल बिगाड़ने पर आमादा युवकों को देख पुलिस ने भी सख्त रुख अपना लिया। नमाज पढ़ने आये युवाओं को समझाने के साथ हटाना शुरू किया तो रामनगर निवासी अब्दुल कलाम नाम का युवक उग्र हो गया। यह देख पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया तो माफी भी मांगने लगा।
ओवैसी के ट्वीट ने माहौल गरमाया
शनिवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का ट्वीट भी सोशल मीडिया में चर्चा का विषय रहा। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का यह आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाता है। यह सरकार का कर्तव्य है कि वो कोर्ट के बताए कि वह गलत क्यों कर रही है। ओवैसी ने ट्वीट कर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी सर्वे संबंधी वाराणसी कोर्ट के आदेश की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से एक बार फिर वैसा ही खून-खराबा शुरू हो सकता है, जैसा 1980-90 के दशक में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी। ‘काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का कोर्ट का आदेश ‘1991 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ का उल्लंघन है. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक, धार्मिक स्थलों की प्रकृति बदलना गैरकानूनी है।
अदालत का जो निर्णय है, उसे सबको निष्पक्ष रूप से मानना चाहिए : कौशल किशोर
वाराणसी आये केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने ज्ञानवापी मामले में पत्रकारों से बातचीत में दो टूक कहा कि अदालत का जो निर्णय है, उसे सबको निष्पक्ष रूप से मानना चाहिए और शांति से सर्वे होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच को दिखाने या फिर उसकी वीडियोग्राफी पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। प्रतिवादी पक्ष के एडवोकेट कमिशनर को बदलने की मांग पर केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि मांग तो कोई भी कर सकता है, लेकिन जब कोर्ट ने निर्णय कर दिया है कि ज्ञानवापी का सर्वे होना चाहिए तो किसी को भी सर्वे से डरने की क्या जरूरत है। सच तो सामने आने ही चाहिए।