MAHARASHTRA NEWS : मृत महिला के पिता की जिद के आगे आखिरकार 44 दिनों के बाद प्रशासन को झुकना ही पड़ा। पिता ने अपनी बेटी के कातिलों और दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए उसके शव का पोस्टमार्टम होने के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया। वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं था। उसे यकीन था कि उसकी बेटी की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की गई है। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण आत्महत्या बताया गया था। जब इस आदिवासी पिता की बात को पुलिस ने नहीं माना तो उसने अपनी बेटी के शव को संरक्षित करने के लिए नमक के बोरो के बीच 44 दिनों तक उसे रखे रहा। वह बार-बार बेटी के शव का दोबारा पोस्टमार्टम करने की मांग करता रहा। यह मामला महाराष्ट्र के नंदुरबार का है।
एक अगस्त को लटका मिला था शव
बता दें कि विगत एक अगस्त को एक आदिवासी महिला का शव नंदुरबार के ढाडगांव तालुका के वावी में लटका मिला था। जब शव का पोस्टमार्टम किया गया तो रिपोर्ट में मौत का कारण आत्महत्या बताया गया था। लेकिन महिला के पिता का स्पष्ट रुप से मानना था कि उसकी बेटी आत्महत्या कर ही नहीं सकती है। पहले उसे दुष्कर्म हुआ है फिर उसकी हत्या कर दी गई है। हालांकि महिला के मौत मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार जरूर किया था, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
आदिवासी परिवार ने 44 दिनों तक शव को रखा संरक्षित
मृत्यु के बाद शव को संरक्षित रखना बेहद मुश्किल काम होता है। लेकिन इस आदिवासी परिवार ने अपनी परंपरागत विधि को अपनाते हुए 44 दिनों के लंबे अंतराल तक अपनी बेटी के शव को पूरी तरह से संरक्षित रखा। बेटी के शव को डिकंपोज होने से बचाने के लिए आदिवासी परिवार ने नमक की बोरियों के साथ शव को 44 दिनों तक रखा। जब प्रशासन को इस बात की भनक लगी तो प्रशासन के लोग आदिवासी परिवार के दरवाजे तक पहुंचे और उनकी बेटी का दोबारा पोस्टमार्टम कराए जाने की बात बताई। एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 21 वर्षीय आदिवासी महिला का शव मुंबई के जेजे अस्पताल में ले जाया गया है। जहां उसका दोबारा पोस्टमार्टम किया जाएगा। अस्पताल में डॉक्टरों की विशेष टीम पोस्टमार्टम करेगी। पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।