National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बीते 10 वर्षों में दाल उत्पादन में देश ने काफी तरक्की की है। आनेवाले कुछ समय में देश दाल उत्पादन में पूर्ण आत्मनिर्भर हो जायेगा।
मुंडा ने गुरुवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) व ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय पल्सेस कन्वेंशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार दलहन क्षेत्र में सतत कार्य करते हुए आयात पर निर्भरता कम करने व आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने के सम्बन्ध में लगातार प्रयास कर रही है। वर्ष 2014 से यानी एक दशक में दलहनी फसलों के विकास में केन्द्र के अथक प्रयासों से काफी प्रगति हुई है। भारत चने व कई अन्य दलहनी फसलों में आत्मनिर्भर बन चुका है, थोड़ी कमी तूर व उरद में बाकी है, जिसे 2027 तक पूरा करने की कवायद जारी है। इस दिशा में जहां नयी किस्मों के बीजों की आपूर्ति बढ़ायी जा रही है, वहीं तूर-उड़द का रकबा बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया है।
मुंडा ने कहा कि इस रबी सीजन में मसूर का रकबा करीब एक लाख हेक्टेयर बढ़ा है। तूर की खरीद के लिए पोर्टल लांच किया गया है। इस पर पंजीयन करके किसान संपूर्ण बिक्री एमएसपी पर नेफेड या एनसीसीएफ को कर सकेंगे। देश में कृषि उत्पादन 332 मिलियन टन का लक्ष्य है, जिसमें अकेले 29.25 मिलियन टन दाल उत्पादन का लक्ष्य है। गरीबों को राहत देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कवर किए करीब 81.4 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल के लिए मुफ्त खाद्यान्न दिया जा रहा है।
मुंडा ने कहा कि 2027 तक दलहनी फसल उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने व विश्व में दलहनी फसलों के अनुसंधान एवं उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए सभी को भागीदारी कर लक्ष्य हासिल करना है। अभी तक के प्रयासों से 2015-16 के दौरान दालों का उत्पादन 16.32 मिलियन टन के पहले स्तर से बढ़ कर 26 मिलियन टन के स्तर तक पहुंच गया है। उत्पादन में इस जबरदस्त वृद्धि ने हमारी आयात निर्भरता को कम किया है। सरकार के ये प्रयास किसानों, लाभार्थियों के बीच जागरूकता के बिना अधूरे हैं। इसलिए, मंत्रालय मजबूत विस्तार सेवाओं के जरिये सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।