Kolkata news : मुआवजे की राशि जिंदगी गंवाने की पीड़ाज्ञकी भरपाई नहीं कर सकती। बेटे की मौत पर मुआवजा पाकर मां का दर्द कम नहीं हो सकता। कोलकाता हाई कोर्ट में ऐसा जीवंत उदाहरण देखने को मिला। कोविड के दौरान एक 17 साल के युवक की मौत हो गई थी। हेल्थ कमिशन ने एक निजी नर्सिंग होम को मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस बाबत हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवंगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्या के डिविजन बेंच में अपील की गई है। सुनवाई के दौरान मां ने कहा उसे मुआवजा नहीं न्याय चाहिए। उसका सवाल था कि क्या नोटों की गड्डी से मां आवाज आएगी।
ऑक्सीजन की कमी से हुई थी बेटे की मौत
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि मुआवजे की यह रकम बेटे को वापस नहीं ला पाएगी। उन्होंने मां श्रावणी चटर्जी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे उनकी पीड़ा को समझते हैं। उन्होंने कहा कि उन सभी के भी बच्चे हैं और बच्चा खो जाने की पीड़ा को समझते हैं। उन्होंने उस दौरान अपनी मां के साथ घटी घटना का भी हवाला दिया। मां की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी की दलील थी कि युवक की मौत कोविड से नहीं ऑक्सीजन कमी के कारण हुई थी। उन्होंने इसके लिए अस्पतालों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। मृत युवक शुभ्रजीत को पहले ईएसआई हॉस्पिटल ले जाया गया था। इसके बाद उसे मिडलैंड नर्सिंग होम, सागरदत्त हॉस्पिटल और कोलकाता मेडिकल कालेज हॉस्पिटल ले जाया गया था जहां रात पौने दस बजे उसकी मौत हो गई थी।