सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार बिहार की बेरोजगारी दर बीते मार्च माह की समाप्ति के बाद 14.4 प्रतिशत है, जो फरवरी में 14 फीसदी थी। राष्ट्रीय औसत की बात करें तो इसमें सुधार हुआ है और यह फरवरी माह के आठ प्रतिशत से घटकर 7.6 प्रतिशत पर आ गई है। दो अप्रैल को यह अनुपात और घटकर 7.5 प्रतिशत रह गया।
बिहार से बढ़ रहा पलायन
सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में बेरोजगारी को लेकर सबसे बड़ी परेशानी यह है कि यहां से बड़े स्तर पर पलायन भी अन्य राज्यों में है। हरियाणा में जहां स्थानीय लोगों को उनके यहां रोजगार न मिलने की समस्या है, वहीं बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में लोगों स्थानीय बेरोजगारी के साथ ही रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर रहने की समस्या है।
हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे अधिक
सीएमआईई की मानें तो मार्च में हरियाणा में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक 26.7 प्रतिशत रही। उसके बाद राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में यह 25-25 प्रतिशत रही।बिहार में बेरोजगारी की दर 14.4 प्रतिशत, त्रिपुरा में 14.1 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 5.6 प्रतिशत रही। अप्रैल, 2021 में कुल बेरोजगारी की दर 7.97 प्रतिशत थी। पिछले साल मई में यह 11.84 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी। मार्च, 2022 में कर्नाटक और गुजरात में बेरोजगारी की दर सबसे कम 1.8-1.8 प्रतिशत रही।
राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर घटी
देश में बेरोजगारी की दर फरवरी में 8.10 प्रतिशत थी, जो मार्च में घटकर 7.6 प्रतिशत रह गई।दो अप्रैल को यह अनुपात और घटकर 7.5 प्रतिशत रह गया। शहरी बेरोजगारी की दर 8.5 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 7.1 प्रतिशत रही।भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अभिरूप सरकार ने कहा कि बेरोजगारी की दर घट रही है, लेकिन भारत जैसे ‘गरीब’ देश की दृष्टि से यह अब भी काफी ऊंची है।