कोयला मजदूरों के 11वें वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीसीआई की छठी बैठक शुक्रवार को बिना किसी फैसले के समाप्त हो गई। बैठक के दौरान यूनियन 30 फीसद मिनिमम गारंटी बेनिफिट पर अड़ी रही, वहीं प्रबंधन 10 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ सका। अब इस मसले पर अगली बैठक में चर्चा होगी। कोल इंडिया के कोलकाता स्थित मुख्यालय में हुई बैठक में एमजीबी को लेकर कई दौर में चर्चा हुई। कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने यूनियन और जेबीसीसीआई सदस्यों से कहा कि चार्टर आफ डिमांड में उल्लेखित मांगों को छोड़ दें। उन्होंने कहा कि 20 प्रतिशत की मांग पर आएं। यदि वह 20 प्रतिशत एमजीबी की मांग पर आते हैं तो प्रबंधन तीन प्रतिशत से आगे बढ़ेगा।
सीटू- एटक के प्रस्ताव का एमएचएस ने विरोध किया
बैठक के दौरान सीटू और एटक के नेताओं ने एमजीबी के लिए अलग कमेटी बनाकर कर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन एमएचएस ने इसका विरोध किया। बीएमएस नेताओं ने जेबीसीसीआइ की फुल बेंच में ही एमजीबी के मुद्दे पर चर्चा करने और निर्णय लेने की बात कही। दोपहर के भोजन के दौरान चारों यूनियन एचएमएस, बीएमएस, सीटू, एटक के सभी नेतागणों ने आपसी संवाद किया। यूनियनों ने लंच के बाद शुरू होने वाली बैठक की रणनीति तय की।
शाम लगभग 4 बजे शुरू हुई दूसरे दौर की बैठक
शाम लगभग पौने चार बजे जेबीसीसीआइ की बैठक फिर शुरू हुई तो यूनियन नेताओं ने 35 प्रतिशत एमजीबी का प्रस्ताव प्रबंधन के समक्ष रखा। इस पर डीपी ने कहा कि यह मांग अनुचित है। चेयरमैन ने कहा कि यूनियन द्वारा 35 प्रतिशत की मांग बहुत ज्यादा है। इसके बाद भी सभी यूनियन 35 प्रतिशत पर अड़ी रहीं। यूनियन की 35 प्रतिशत की मांग पर प्रबंधन ने आपस में चर्चा कर सात प्रतिशत एमजीबी का प्रस्ताव रखा। लेकिन यूनियन ने प्रबंधन के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। यूनियन ने फिर से आपस में चर्चा कर बैठक में लौटने की बात कही। इस बार यूनियन ने आपसी चर्चा कर प्रबंधन के सामने 30 प्रतिशत एमजीबी की मांग रखी। इसके जवाब में प्रबंधन सात से बढ़कर 10 प्रतिशत पर आया।