New Delhi news : वर्तमान समय में दफ्तरों में महिला उत्पीड़न एक गम्भीर समस्या बन गयी है। यह स्थिति सेक्सुअल हैरेसमेंट, मानसिक उत्पीड़न, या अन्य अनुचित व्यवहार के तौर पर पेश आ सकती है। महिला उत्पीड़न का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार के अधिकारों की उपेक्षा, लिंग, जाति, धर्म, या काम के प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल में अन्यायपूर्ण व्यवहार हो सकता है। इससे महिलाएं कार्यस्थल पर असुरक्षित और असमान भावना को महसूस करती हैं। महिला उत्पीड़न के प्रकार शारीरिक, मानसिक अथवा वर्बल हो सकते हैं। इसमें अनुचित स्पर्श, शारीरिक छेड़छाड़, अश्लील टिप्पणियां या अन्य अनुचित व्यवहार शामिल हो सकता है।
महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए संगठनों और कानूनी निकायों ने कई कदम उठाये हैं, जैसे कि एक्सपोजर हेल्पलाइन, शिकायत निवारण योजना और कार्य स्थान की नीतियों की रख-रखाव। इनका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित रखना और उनके अधिकारों की सुरक्षा करना है।
यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को रोकने, निषेध और निवारण के लिए बनाया गया है। यह कानून सभी संगठनों पर लागू होता है, जिनमें 10 या फिर उससे अधिक कर्मचारी हैं। इस कानून के तहत, संगठनों को एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) का गठन करना होता है। यदि किसी महिला को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो वह आंतरिक शिकायत समिति या पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती है।
समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
यह कानून पुरुषों और महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन देने का प्रावधान करता है। यदि किसी महिला को समान काम के लिए पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
यह कानून गर्भवती महिलाओं को 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ प्रदान करता है। यदि किसी महिला को मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मिलनेवाले लाभों से वंचित रखा जाता है, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
समान अवसर (रोजगार में) अधिनियम, 1976
यह कानून रोजगार के मामले में लैंगिक भेदभाव को रोकता है। यदि किसी महिला को रोजगार के मामले में लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
यह कानून घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यदि किसी महिला को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है, तो वह इस कानून के तहत सुरक्षा और अन्य लाभ प्राप्त कर सकती है।
यह महत्त्वपूर्ण है कि सभी वर्किंग वुमन इन कानूनों के बारे में जागरूक हों, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
यहां कुछ वेबसाइट ऐसे हैं, जो आपको इन कानूनों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं…
राष्ट्रीय महिला आयोग: https://wcd.nic.in/
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय: https://wcd.nic.in/
भारतीय कानून आयोग: https://lawcommissionofindia.nic.in/
आप इन कानूनों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने वकील से भी सम्पर्क कर सकती हैं।