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दुनिया में है ऐसा भी अचंभा, कुंवारों के मरने के बाद यहां होती है ‘आत्माओं’ की शादी…

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There is such a surprise in the world, after the death of virgins, marriage of ‘souls’ takes place here.., Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, Karnataka news, South India traditional : दुनिया में अचंभों की कमी नहीं है। रीति-रिवाज और परंपराओं के मामले में तो भारत का कोई भी देश सानी नहीं हो सकता। शायद ही किसी ने सुना होगा कि कुंवारों के मरने के बाद भारत में कहीं ‘आत्माओं’ की भी शादी होती है। जी हां, यह बात सही है और भारत के कर्नाटक के एक क्षेत्र में ऐसा होता है। हाल में ही कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ के पुत्तुर में अजीब मामला सामने आया है। यहां एक परिवार ने लोकल न्यूज पेपर में विज्ञापन दिया, जिसमें उन्होंने अपनी 30 साल पहले मर चुकी बेटी की शादी के लिए अच्छे वर की तलाश के लिए विज्ञापन छपवाया था। पता चला किज्ञदक्षिण कन्नड़ की एक जाति में प्रथा है कि मृत कुंवारे बच्चों की आत्माओं की शादी की परंपरा है, जिसे प्रेथा कल्याणम के नाम से जाना जाता है।

जानिए इस प्रथा को…

मान्यता है कि इस प्रथा में आत्माओं की शादी कराई जाती है। तुलुनाडु-दक्षिण कन्नड़ और उडुपी के तटीय जिलों में यह प्रथा प्रेथा कल्याणम नाम से प्रचलित है। दरअसल, लोकल न्यूज पेपर में विज्ञापन ये था कि कुलाल जाति और बंगेरा गोत्र की लड़की के लिए एक लड़के की तलाश है, जिसकी करीब 30 साल पहले मौत हो चुकी थी। अगर, इस जाति और अलग बारी का कोई लड़का है, जिसकी 30 साल पहले मौत हो गई है और परिवार प्रेथा मदुवे करने को तैयार है तो वो इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

परिवार से 50 लोगों ने किया संपर्क

इस मामले को किसी ने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इस बीच विज्ञापन देने वाले परिवार के सदस्य का कहना है कि करीब 50 लोगों ने संपर्क किया। उन्होंने बताया कि फिलहाल, मरने के 30 साल बाद शोभा और चंदप्पा की शादी कराई गई। दक्षिण कन्नड़ जिले में ये शादी सामान्य शादियों की ही तरह, सारे रीति-रिवाजों से पूरी की जाती है। वहीं, इस शादी में महज इतना अंतर था कि शोभा और चंदप्पा को मरे 30 साल हो चुके हैं।

क्यों की जाती है आत्माओं की शादी

एक रिपोर्ट के अनुसार, आत्माओं में मोक्ष के लिए मृत अविवाहित लोगों की शादी की रश्म प्रेथा कल्याणम कराई जाती है। इसे तुलुनाडु-दक्षिण कन्नड़ और उडुपी के तटीय जिलों में प्रथा के तौर पर माना जाता है। उनका मानना है कि इन अनुष्ठानों को पूरा करने से भावी दुल्हन या दूल्हे के रास्ते में आने वाली परेशानियां खत्म हो जाती हैं। क्योंकि, अनुष्ठान ‘पितृ आराधना’ या पूर्वजों की पूजा का हिस्सा है। दरअसल, आत्माओं की शादी ऐसी होती है जैसे आम विवाह कराए जाते हैं। इसमें शादी के वो सारे रश्म-ओ-रिवाज निभाए जाते हैं, जो आज के समय में होती हैं।

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