Bengaluru news : गाय-भैंस का दूध बकरी का दूध या ऊंट का दूध बेचने की बात तो गले से उतरती है। इसकी जरूरत भी है, लेकिन अगर मां के दूध की बिक्री की बात सामने आए और वह भी हाईकोर्ट के मना करने के बावजूद तो वास्तव में यह तो बहुत बड़ा पाप है। अपराध भी है और यह दंडनीय है। कर्नाटक के बेंगलुरु की एक कंपनी ऐसा कर रही है। यह राज्य सरकार की लापरवाही का भी नतीजा है। कंपनी का लाइसेंस कैंसिल होने के बाद भी किसी राज्य में ऐसा किया जाना बहुत बड़ी बात है। जानकारी मिली है कि कंपनी 300 मिलीलीटर के लिए 4,500 रुपये तक फीस देती है।
ये भी पढ़े: झारखंड के सात खिलाड़ियों को मिला स्वर्ण पदक
गरीब माताओं का दूध बेचा जाता…
बता दें कंपनी के खिलाफ मां का दूध बेचने की शिकायतें मिलने के बाद FSSAI ने 2021 में इसका लाइसेंस रद्द किया था। इसके बाद कंपनी ने नवंबर 2021 में आयुष मंत्रालय से लाइसेंस प्राप्त करके यह दावा किया कि वह जो बेच रहे थे, वह आयुर्वेदिक दवाएं थीं, लेकिन BPNI ने आयुष मंत्रालय को शिकायत दी कि आयुर्वेदिक दवाओं की आड़ में मां का दूध बेचा जा रहा है। मंत्रालय ने राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सिफारिश भेजा और 28 अगस्त 2022 को कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लाइसेंस रद्द होने के बावजूद कंपनी ने मां का दूध बेचना जारी रखा तो BPNI के डॉ अरुण गुप्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
24 मई को दी गई थी चेतावनी
बता दें कि बेंगलुरु की कंपनी नियोलैक्टा लाइसेंस रद्द होने के बावजूद भी मां का दूध बेच रही है। बताते चलें कि 24 मई को भी FSSAI ने भी देशभर की कंपनियों को मां का दूध बेचने को लेकर चेतावनी दी थी। ऐसा करने वाले को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। बावजूद इसके कंपनी 2 साल से मां का दूध बेच रही है।
इस संस्था की शिकायत
बता दें कि सितंबर 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने नियोलैक्टा कंपनी का लाइसेंस रद्द किया था, क्योंकि प्रदेश की किसी भी सरकारी एजेंसी ने कंपनी को मां का दूध बेचने से रोका नहीं था। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत प्रावधान है कि मां का दूध नहीं बेचा जा सकता। इसके बावजूद कंपनी 2 साल से दूध बेच रही है। कर्नाटक का आयुष विभाग, आयुष राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण या केंद्रीय आयुष मंत्रालय एक्ट का पालन करने में सक्षम नहीं रहा।