Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

पति से अलग रह रही इस प्रेग्नेंट महिला को 23 सप्ताह का गर्भ गिराने की मिली अनुमति, जानें क्या है मामला 

पति से अलग रह रही इस प्रेग्नेंट महिला को 23 सप्ताह का गर्भ गिराने की मिली अनुमति, जानें क्या है मामला 

Share this:

National news, National update, New Delhi news, Delhi High court decision : पति से अलग रह रही 31 वर्ष की गर्भवती महिला के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने महिला को 23 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दे दी है। मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि एम्स के मेडिकल बोर्ड ने राय दी है कि भ्रूण सामान्य हालत में है और उसका सुरक्षित गर्भपात कराया जा सकता है। कोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह अपने पति से अलग हो गई है और इसलिए वह उसके बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती। जानकारी के मुताबिक महिला ने पति से तलाक के लिए आवेदन दे रखा है। महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के प्रावधानों के तहत कोर्ट से गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी।

गर्भवती थी तब भी जारी रहा शारीरिक उत्पीड़न 

याचिका में महिला ने कहा था कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती। गर्भपात का फैसला करना बहुत कठिन था। हालांकि, पति का कहना था कि वह साथ रहने के लिए तैयार था और सुलह की भी कोशिश की। अदालत को ये भी बताया गया कि महिला ने अपने पति के खिलाफ पुलिस की महिला अपराध शाखा में शिकायत दर्ज करा रखी है। दरअसल, महिला की शादी इसी साल मई महीने में हुई थी। महिला का कहना है कि जून में उसे गर्भावस्था के बारे में पता चला था। उसने याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी ससुराल में उसके पति ने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया। याचिका में कहा गया है कि उसके पति ने जुलाई में उसके साथ शारीरिक उत्पीड़न किया। अगस्त में जब गर्भवती थी तब भी प्रताड़ना जारी रही। जिसके बाद पीड़िता अपने माता-पिता के घर आ गईं।

प्रत्येक महिला का यह विशेषाधिकार कि वह अपने जीवन का मूल्यांकन करे

कोर्ट ने याचिका में महिला के पति को भी एक पक्ष बनाया था। गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता महिला और उसका पति दोनों कोर्ट में मौजूद थे। पूरे मामले में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि यह प्रत्येक महिला का विशेषाधिकार है कि वह अपने जीवन का मूल्यांकन करे। अदालत की राय थी कि जब एक महिला अपने साथी से अलग हो जाती है तो कई परिस्थितियों में बदलाव आ सकता है। उसके पास बच्चे को पालने के लिए आर्थिक संसाधन का स्रोत निश्चित नहीं रह जाता।

Share this: