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TWO FRONT WAR : India को चाहिए और 200 लड़ाकू विमान, IAF ने संसदीय समिति को…

TWO FRONT WAR :  India को चाहिए और 200 लड़ाकू विमान, IAF ने संसदीय समिति को…

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पाकिस्तान- चीन से एक साथ ‘टू फ्रंट वार’ की अच्छी तैयारी के लिए सशस्त्र बलों को गत वर्ष दिसंबर में दिया गया अतिरिक्त तीन महीने का समय खत्म होने के करीब आते ही वायु सेना की चिंता बढ़ गई है। रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके हथियार प्रणाली और गोला-बारूद का स्टॉक खरीदने के लिए यह समय बढ़ाया था। वायु सेना को सबसे अधिक चिंता करीब 200 लड़ाकू विमानों की कमी होने को लेकर है। एयर फोर्स की एक रिपोर्ट पर संसदीय समिति ने भारतीय वायुसेना के लिए नए लड़ाकू विमानों की समयबद्ध खरीद का आह्वान किया है, ताकि स्क्वाड्रन की घटती संख्या को बढ़ाया जा सके।

भारत के पास 8 तरह के फाइटर एयरक्राफ्ट

वायु सेना के पास अभी आठ तरह के फाइटर एयरक्राफ्ट हैं। इनमें राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, तेजस, मिराज 2000, मिग-29, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं। दरअसल मौजूदा समय में पाकिस्तान और चीन से संघर्ष बढ़ने पर भारतीय वायु सेना एक साथ दो युद्ध लड़ने की क्षमता विकसित करना चाहती है। अभी तक वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की 31 स्क्वाड्रन हैं, लेकिन ‘टू फ्रंट वार’ के लिए कम से कम 42 स्क्वाड्रन होने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारतीय वायु सेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। नई 11 लड़ाकू स्क्वाड्रन के लिए वायु सेना को करीब 200 फाइटर जेट की जरूरत है।

83 एलसीए तेजस मार्क वन-1 का दिया है ऑर्डर

वायु सेना ने फरवरी, 2021 में 83 एलसीए तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को दिया है। तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की पहली स्क्वाड्रन गुजरात के नलिया और दूसरी राजस्थान के फलौदी एयरबेस में बनेगीं। ये दोनों सीमाएं पाकिस्तान सीमा के करीब हैं। नई बनने वाली 11 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा किया जाना है। एलसीए एमके-1 के 40 विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल किए जाने की मंजूरी मिल चुकी है। इनका ऑर्डर भी एचएएल को दिया जा चुका है। इनमें से 18 विमान मिल चुके हैं और वायु सेना की सेवा में हैं।

36 राफेल फाइटर से दो स्क्वाड्रन बन चुके हैं

फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 2016 में ऑर्डर किए गए 36 राफेल फाइटर जेट से दो स्क्वाड्रन बनाई गई हैं। इनमें अंबाला एयरबेस पर पहली स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ और दूसरी पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस में ‘फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ है। हाशिमारा स्क्वाड्रन मुख्य रूप से चीन स्थित पूर्वी सीमा की देखभाल के लिए जिम्मेदार है। अंबाला की स्क्वाड्रन लद्दाख में चीन के साथ उत्तरी सीमाओं और पाकिस्तान के साथ अन्य क्षेत्रों की देखभाल करेगी। हाशिमारा एयरबेस पर राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन बनाने की योजना पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायु सेना की क्षमता को मजबूत करने के महत्व को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

अभी भी 11 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमानों की जरूरत

इन सबके बाद भी वायु सेना ने 11 स्क्वाड्रन की कमी पर चिंता जताते हुए संसदीय समिति को एक रिपोर्ट दी है। इसमें कहा

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