Lucknow news : पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके पारम्परिक प्लास्टिक की जगह बायोप्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश में जल्द ही बायोप्लास्टिक उद्योग नीति लागू की जाएगी। मंगलवार को कैबिनेट बैठक में उद्योग को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई। अभी तक देश के किसी भी राज्य में बायोप्लास्टिक उद्योग नीति नहीं बनाई गई है। बायोप्लास्टिक के एक इकाई की स्थापना से दो हजार से अधिक नौकरियां सृजित होंगी।
राज्य सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने बताया कि भारत में बायोप्लास्टिक उद्योग एक प्रारम्भिक, लेकिन आशाजनक चरण में है। वर्तमान में देश के किसी भी राज्य में बायोप्लास्टिक उद्योग की वृद्धि के लिए कोई व्यापक नीति नहीं है। अपने प्रदेश की बात करें तो यह बायोप्लास्टिक के विकास और अपनाने के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं रखता है। राज्य की विविध कृषि आधार, मजबूत औद्योगिक संरचना और सक्रिय सरकारी नीतियों का उपयोग बायोप्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
गन्ना आधारित बायोमास बनेगा कच्चा माल, राज्य में की उपलब्धता भरपूर
नन्दी ने कहा कि राज्य देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादकों में से एक है। गन्ना आधारित बायोमास की उपलब्धता जो बायोप्लास्टिक उत्पादन के लिए एक मूल्यवान संसाधन है, गन्ने के उच्च उत्पादन की वजह से काफी अधिक है। वर्ष 2022-23 के पेराई के सत्र के दौरान प्रदेश में 118 चीनी मिलें संचालित हो रही हैं। कुल गन्ना क्षेत्र 28.53 लाख हेक्टेयर को कवर करता है और गन्ने की उत्पादकता 839 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह भारत के कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ना आधारित बायोमास की प्रचुर मात्रा एक मजबूत बायोप्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है। इस संसाधन का लाभ उठाकर राज्य सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकता है और अपने कृषि क्षेत्र की आर्थिक सम्भावनाओं को बढ़ा सकता है।
कंपनियों को सुनहरा अवसर
1000 करोड़ या अधिक निवेश करने वाली कम्पनियों के लिए पूंजी निवेश की 50 प्रतिशत तक सब्सिडी सात वर्षों की अवधि में प्रदान की जाएगी। सात वर्षों के लिए ब्याज सबवेंशन प्रदान किया जाएगा। दस वर्षों की अवधि तक एसजीएसटी का 100 प्रतिशत रीम्बर्समेंट प्रदान किया जाएगा। 10 वर्षों की अवधि के लिए बिजली पर कोई ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी। नीति की कटऑफ डेट से एक वर्ष पहले या बाद में की जाती है, तो स्टाम्प ड्यूटी पर छूट या रिम्बर्समेंट प्रदान किया जाएगा। सभी लाभ दस वर्षों की अवधि में पूंजी मात्र पूंजी निवेश का 200 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इससे कम निवेश करने वाली इकाईयों को औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रमोशन नीति 2022 के प्रावधानों के अनुसार छूट अनुमन्य होगी।
पर्यावरण संतुलन की ओर बढ़ा कदम
ऐसे उद्योग लगाने से प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आएगी और अपशिष्ट प्रबंधन में फायदा मिलेगा। कुछ प्रकार के बायोप्लास्टिक को जैविक कचरे के साथ कम्पोस्ट किया जाता है, जो कृषि के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद उत्पादन करने में योगदान करेगी। बायोप्लास्टिक का उत्पादन कृछ कृषि उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित कर सकता है। निवेश में वृद्धि, निर्यात की सम्भावना और प्रदेश की आर्थिक विकास दर में वृद्धि आदि अनेक लाभ की संभावना है।