Lucknow news : उत्तर प्रदेश में बीजेपी की आंतरिक सियासत उबाल पर चल रही है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर तमाम तरह की अटकलें चल रही हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि होने वाले 10 विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के नतीजे के बाद कोई बड़ा फैसला भी हो सकता है। यह भी सही है कि योगी आदित्यनाथ को लेकर भले ही संगठन के कुछ लोगों में नाराजगी हो, लेकिन आम लोग उनको लेकर अभी भी सकारात्मक है। कुछ लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि सरकार में बहुत ज्यादा परिवर्तन की गुंजाइश नहीं है। हां, संगठन के स्तर पर उत्तर प्रदेश में भाजपा कई बड़े फेरबदल कर सकती हैं।
केशव प्रसाद मौर्य के साथ टकराव
वर्तमान स्थिति में योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव की स्थिति 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद से चली आ रही है। एक मजबूत ओबीसी नेता और तत्कालीन भाजपा इकाई के अध्यक्ष, मौर्य ने भाजपा के प्रभावशाली प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उसने 312 सीटें जीतीं। वह स्वाभाविक रूप से सीएम पद के दावेदार थे।
पार्टी में नाराजगी का कारण
यूपी में ऐसी धारणा है कि योगी आदित्यनाथ ने एक ठाकुर नेता के रूप में काम किया है और अपनी जाति के नेताओं और अधिकारियों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कथित तौर पर नौकरशाहों और पुलिस की मदद से काम किया है और अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ कमतर व्यवहार किया है।