केंद्र सरकार की जूट नीतियों की आलोचना करने वाले भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने एक बार फिर बागी तेवर अख्तियार कर लिया है। उन्होंने प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर प्रहार करते हुए कहा कि पार्टी में उपाध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा। वहीं दूसरी ओर जिन नेताओं का कोई जनाधार नहीं है, वह पार्टी पर कब्जा जमा कर बैठे हैं।
मैं प्रदेश उपाध्यक्ष लेकिन बंधे हैं हैं मेरे हाथ
उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जमीन से जुड़े कार्यकर्ता भी काम नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेता उनकी राह में मुश्किलें खड़ी करते हैं। अर्जुन सिंह नेकहा कि सोशल मीडिया पर ट्वीट पोस्ट करके, हम पश्चिम बंगाल में तृणमूल को सत्ता से बेदखल नहीं कर सकते। जिनका कोई जनाधार नहीं है, वह पार्टी चला रहे हैं और जिनका आंदोलन का इतिहास रहा है अथवा बड़े पैमाने पर जनसमर्थन है, उन्हें दरकिनार किया जाता है। ऐसे में भाजपा पश्चिम बंगाल में अपने लक्ष्य को कैसे हासिल करेगी? वर्ष 2019 में ममता बनर्जी की पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि प्रदेश उपाध्यक्ष के बावजूद मेरे हाथ बांध दिए गए हैं।
क्या टीएमसी में पुनः वापस आना चाहते हैं अर्जुन
हालांकि प्रदेश भाजपा की वरिष्ठ नेता और आसनसोल दक्षिण के विधायक अग्निमित्र पॉल ने कहा कि अर्जुन सिंह के दावे में कोई सच्चाई नहीं है। उन्हें काम करने का बहुत सारा मौका और खुली छूट दी गई है। ऐसा क्यों कह रहे हैं, यह समझ से परे है। इधर, अर्जुन सिंह के इस बयान के बाद इन अटकलों को और बल मिला है कि उनका भाजपा से मोह भंग हो रहा है। संभव है कि वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं। रविवार को उनके बयान को लेकर जह जगदल से तृणमूल विधायक सोमनाथ श्याम ने कहा कि अर्जुन सिंह क्या कहते हैं, यह मायने नहीं रखता क्योंकि वह अभी भी भाजपा में हैं और विश्वस्त बिल्कुल नहीं हैं।