Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

West Bengal सरकार अब चार वर्ष में नहीं, तीन वर्ष में ही बनाएगी डॉक्टर

West Bengal सरकार अब चार वर्ष में नहीं, तीन वर्ष में ही बनाएगी डॉक्टर

Share this:

Kolkata News, West Bangal news : सामान्य तौर पर एमबीबीएस की डिग्री लेने के लिए चार वर्षों का कार्यकाल निर्धारित है । ऐसा पूरे देश के मेडिकल कॉलेज के सिलेबस में प्रावधानित है। इससे इतर पश्चिम बंगाल सरकार मेडिकल के छात्र को तीन वर्ष में ही डॉक्टर बनाने की रणनीति पर काम कर रही है । यह बात अलग है कि ऐसे छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री न मिलकर डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में अगर किसी पर सर्वाधिक दबाव पड़ा तो वह डॉक्टर पर था। चिकित्सा के पेशे से जुड़े एक्सपर्ट की देश मे कितनी कमी है, महामारी ने यह भी स्पष्ट कर दिया। इसी दबाव को अपने राज्य और देश में कम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार यह फैसला लिया है। इस बाबत सरकार ने क्लासरूम और प्रायोगिक प्रशिक्षण के जरिये तीन वर्ष में मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स की संभावनाएं तलाशना शुरू कर दी हैं। इसके लिए एक 14 सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है।

देश भर के वरिष्ठ चिकित्सक पश्चिम बंगाल सरकार के इस प्रस्ताव पर करेंगे मंथन, 30 दिनों में रिपोर्ट

बहरहाल, पश्चिम बंगाल सरकार के इस प्रस्ताव पर मंथन करने के लिए गठित 14 सदस्य समिति में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (डब्ल्यूबीएमसी) के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल होंगे। एक अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे, इसे केंद्र में रखते हुए सरकार ने विशेषज्ञों की समिति गठित की है। यह समिति तीन वर्ष में क्लासरूम और प्रायोगिक प्रशिक्षण के जरिए स्वास्थ्य क्षेत्र में पेशवरों को तैयार किए जाने की संभावनाएं तलाशेगी। तीन वर्ष में डॉक्टर तैयार करना कितना उचित होगा। क्या उनमें परफेक्शन आ पायेगा, समिति इन्हीं विषयों पर मंत्रणा कर कर 30 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट पश्चिम बंगाल की सरकार को सौंपेगी।

जब इंजीनियरिंग में डिप्लोमा तो मेडिसिन में क्यों नहीं

पश्चिम बंगाल सरकार के इस प्रस्ताव के साथ ही दो खेमा सामने आ गया है। एक कह रहा कि एमबीबीएस के समानांतर चलने वाले इस तीन वर्षीय मेडिसिन डिप्लोमा को लेकर संभावनाओं को तलाशना चाहिए। आखिर, जब इंजीनियरिंग में तीन वर्ष का डिप्लोमा तो मेडिसिन में क्यों नहीं? हालांकि, दूसरा खेमा इसके विरोध में नजर आता है। इस फैसले पर सवाल उठाते हुए यह खेमा कहता है कि इस योजना के तहत तैयार होने वाले पेशेवरों की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में की जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार ग्रामीणों की जिंदगी को दांव पर लगा रही है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि कोर्स को इस तरह डिज़ाइन किया जाए, जिससे चार वर्षों का पाठ्यक्रम तीन वर्ष में ही समाहित हो जाए। शेष विशेषज्ञता के लिए डिप्लोमाधारी डॉक्टर कालांतर में अलग-अलग डिग्रियां बटोरते रहें और अपना चिकित्सीय ज्ञान बढ़ाते रहें।

Share this: