When Azim Premji refused to give job to Narayan Murthy, told the reason behind becoming Infosys, business news, Infosys, Big Success Story: आज हम जानते हैं दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस की सक्सेस स्टोरी। world level की आईटी कंपनी इंफोसिस की हैसियत देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी की है। आज इंफोसिस जिस मुकाम पर पहुंची है, उसके संघर्ष की कहानी काफी लंबी और बेहद रोचक है। जिसे खुद ही इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति बताती हैं। सुधा मूर्ति कहती हैं कि उन्होंने नारायण को ₹10000 उधार दिए थे, जिस पूंजी के साथ उन्होंने छह दोस्तों के साथ इस कंपनी की शुरुआत की थी।
इंफोसिस बनने के पीछे अजीम प्रेमजी की कहानी
वैसे इस कंपनी के फाउंडेशन को लेकर एक और भी रोचक कहानी है जिसे खुद इंफोसिस के को फाउंडर नारायण मूर्ति ने बताई है। उनके अनुसार इंफोसिस की स्थापना के पीछे अरबपति और आईटी कंपनी विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी से जुड़ी एक घटना भी रही है, जिसकी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं है। अभी हाल में ही नारायण मूर्ति ने इसका खुलासा किया है। नारायण मूर्ति ने बताया कि दरअसल आईटी कंपनी विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी के कारण ही इंफोसिस अस्तित्व में आई है। आज इंफोसिस टॉप की आईटी कंपनियों में शुमार है। रिपोर्ट के मुताबिक नारायण मूर्ति ने इस रोचक कहानी के विषय में बताया कि जब वो नौकरी की तलाश में थे। उस दौरान उन्होंने विप्रो में नौकरी के लिए एप्लीकेशन दिया था। जिस एप्लीकेशन को अजीम प्रेमजी ने रिजेक्ट कर दिया था।
इंफोसिस की स्थापना के पहले कई नौकरियां कीं
इंफोसिस की स्थापना के पहले नारायण मूर्ति ने कई नौकरियां की थी। उन्होंने सबसे पहले आईआईएम अमदाबाद में एक रिसर्च एसोसिएट की नौकरी ज्वाइन की थी। यहां वो चीफ सिस्टम प्रोग्रामर के पद पर थे। कई जगह नौकरी के बाद नारायण मूर्ति ने व्यवसाय की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने सॉफ्ट्रोनिक्स की स्थापना की थी, मगर वो कंपनी ऊंचाइंयां नहीं छू सकी। जब ये कंपनी नहीं चल सकी तो उन्होंने फिर से पुणे में नई नौकरी शुरू की। इसी दौर में उन्होंने विप्रो में नौकरी के लिए आवेदन किया था, जिसे अजीम प्रेमजी ने रिजेक्ट कर दिया। इस घटना का उनके जीवन पर काफी गहरा असर पड़ा। नारायण मूर्ति ने बातया कि जब विप्रो में उनके नौकरी के आवेदन को रिजेक्ट किया गया तब वहीं से उनके मन में खुद की कंपनी बनाने का खाका तैयार हुआ और वहीं से इंफोसिस का जन्म हुआ।
विप्रो और इंफोसिस दोनों एक- दूसरे की प्रतिद्वंद्वी
आज आईटी क्षेत्र में विप्रो और इंफोसिस दोनों ही दिग्गज कंपनियां है, जो एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं। उन्होंने बताया कि आगे चलकर विप्रो फाउंडर अजीम प्रेमजी को इस बात का मलाल भी हुआ था कि नारायण मूर्ति को उन्होंने नौकरी पर नहीं रखा था, जो उनके जीवन की बड़ी गलतियों में से एक है। अगर उस दौर में विप्रो में नारायण मूर्ति को नौकरी दी गई होती तो आज भारत का आईटी सेक्टर काफी अलग होता। यहां तक की नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी के लिए भी स्थितियां काफी अलग होती।
विप्रो से बड़ी कंपनी बन चुकी है इंफोसिस
वहीँ इसका एक अलग पहलू यह भी है जो सभी को प्रेरणा देती है कि उस वक्त नारायण मूर्ति नौकरी करते रहते तो दुनिया को इंफोसिस जैसी कंपनी शायद नहीं मिल पाती। बता दें कि आज आईटी सेक्टर में इंफोसिस विप्रो से अधिक बड़ी कंपनी है, जिसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 6.65 करोड़ रुपये की है। जिनकी हैसियत आज वर्ल्ड की टॉप 10 कंपनियों की है। इंडियन MNC इंफोसिस अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में कारोबार करती है। वहीं विप्रो की मार्केट कैपिटल 2.43 लाख करोड़ रुपये है।
Narayan ने 1981 में इंफोसिस की शुरुआत की
नारायण मूर्ति ने इंफोसिस की शुरुआत वर्ष 1981 में की थी, जिसे उन्होंने अपने छह साथियों के साथ मिलकर शुरू किया था। उसने इस कंपनी की स्थापना के लिए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10 हजार रुपये उधार भी लिए थे। उस समय नारायण मूर्ति अपनी पत्नी के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे।