रूसी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली एस-400 तैनात करना चाहता है, पेंटागन ने भी किया बड़ा दावा
भारत अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क है। खासकर पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से। इन दोनों देशों की हर गतिविधियों पर भारत की पैनी नजर है। भारत ने चीन और पाकिस्तान से संभावित खतरों को देखते हुए बहुत ही जल्दबाजी में रूसी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली एस- 400 को खरीद लिया है। अब भारत एस 400 जल्द से जल्द तैनात करना चाहता है ताकि पड़ोसी के किसी भी खतरे से निपटा जा सके। इधर अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन का दावा है कि भारत अगले महीने तक रूस से खरीदी गयी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली एस-400 तैनात करना चाहता है। अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने सीनेट की रक्षा सेवा समिति के सदस्य अमेरिकी सांसदों को बताया है कि भारत यह कदम पाकिस्तान व चीन के किसी भी खतरे का सामना करने के लिए उठा सकता है।
रक्षा क्षेत्र में तेजी से ताकत बढ़ा रहा भारत
बेरियर ने कहा कि भारतीय सेना ने अपने देश की सीमाओं की रक्षा मजबूत करने के साथ अपनी आक्रामक और रक्षात्मक साइबर क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए उन्नत रक्षा व निगरानी प्रणाली खरीदने की मांग की थी। इसके बाद दिसंबर 2021 में भारत को रूस में बने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की प्रारंभिक आपूर्ति हुई।दरअसल भारत अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन की ओर से संभावित खतरों से बचाव के लिए जून 2022 तक रूस से मिली मिसाइल सुरक्षा प्रणाली एस-400 को तैनात करने की रणनीति बना रहा है।
भारत के कक्षा में बढ़ती जा रहे हैं उपग्रहों की संख्या
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के खुफिया प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत अपनी हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक, क्रूज और वायु रक्षा मिसाइल क्षमताओं का तेजी से विकास कर रहा है। दावा किया कि बीते वर्ष 2021 में भारत ने कई परीक्षण किए थे। इसके बाद भारत की कक्षा में उपग्रहों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष संपदा का अधिकाधिक इस्तेमाल करना चाहता है और इसके लिए अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। भारत घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने के साथ हवाई, जमीनी, नौसैनिक और सामरिक परमाणु बलों को शामिल करते हुए व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण की ओर आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा भारत ने एकीकृत सैन्य कमान स्थापित करने की भी पहल की है, जिससे उसकी तीनों सैन्य सेवाओं की साझा क्षमता में वृद्धि होगी।