Acharya Pramod Krishnam’s big revelation – If Rahul comes to power, he will reverse the decision of Ram temple, will build, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : कांग्रेस के पूर्व नेता और कल्कि धाम के प्रमुख आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुलासा किया है कि राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद राम मन्दिर पर दिये गये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देंगे। एक डिजिटल प्लेटफार्म से बातचीत में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने दावा किया कि वह इस बात के साक्षी हैं कि एक कोर ग्रुप की बैठक में राहुल गांधी ने अपने एक अमेरिकी दोस्त के कहने पर राम मंदिर निर्माण प्रारम्भ होने पर एक बैठक बुलायी थी। इस बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि हम अगर सत्ता में आते हैं, तो एक सुपर पावर कमीशन बना कर राम मंदिर निर्माण के फैसले को वैसे ही पलट देंगे जैसे मेरे पिता राजीव गांधी ने शाहबानो के मामले में किया था।
राजीव गांधी ने भी एक फैसले को पलट दिया था
उल्लेखनीय है कि 1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए उनके पति द्वारा हर्जाने का प्रावधान किया था, जिससे मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम पर्सनल लॉ कांग्रेस सरकार से विद्रोह की स्थिति में आ गया था। इसे देखते हुए 1986 में राजीव गांधी ने यह फैसला संसद में विधेयक पारित कर बहुमत द्वारा पलट दिया था। राहुल गांधी के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम के बयान का अर्थ है कि वह भी उसी तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देंगे। यानी सुप्रीम कोर्ट ने यह जो फैसला दिया था कि वहां कोई मंदिर था और मंदिर बनने का रास्ता खोला था, राहुल गांधी उसे बंद करना चाहते हैं। हालांकि, बयान में यह नहीं बताया गया है कि वह मंदिर तोड़ कर उसकी जगह कुछ और या फिर से बाबरी मस्जिद बना देंगे।
श्रीराम को काल्पनिक तक बताया था
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि 1992 में विवादित ढांचे के ध्वंस के बाद तत्कालीन नरसिंह राव सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह उसी स्थान पर बाबरी मस्जिद का पुनर्निमाण करायेंगे। अयोध्या में मंदिर निर्माण प्रारम्भ होने के समय राहुल गांधी द्वारा अपनी कोटरी में दिया गया बयान उनकी यही मंशा दर्शाता है। दरअसल, गांधी परिवार और कांग्रेस शुरू से ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और राम मंदिर के विरोधी रहे हैं। कांग्रेस के एक बड़े नेता ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर श्रीराम को काल्पनिक तक बताया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय निमंत्रण मिलने के बावजूद गांधी परिवार और कांग्रेस ने समारोह में न जाने का फैसला किया था। कांग्रेस हमेशा से मुस्लिमपरस्त और हिन्दूविरोधी मानसिकता से ग्रसित रही है।