Dharma adhyatma : झारखंड का आध्यात्मिक शहर बाबा वैधनाथ की नगरी देवघर सावन के इस पवित्र महीने ने भोले के भक्तों और बोल बम के नारों से गूंजायमान है। भक्त भोले को रिझाने के लिए तरह-तरह के परिधान, आकर्षक कांवर और साज-सज्जा के साथ बाबा नगरी पहुंच रहे हैं। खगड़िया के सुधांशु बम इन्हीं कुछ भक्तों में शामिल हैं, जो आंखों पर पट्टी बांधकर बम बम भोले को जलार्पण करने खगड़िया के चौथंभ से निकल पड़े। सुधांशु की मानें तो यह भगवान भोले के प्रति हठ योग है। भगवान भोले से मैंने अर्जी लगाई थी, जो पूरी हो गई और मैं निकल पड़ा महादेव के दरबार की ओर।
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जलार्पण से भोले पर से विष की शक्ति होती है खत्म
कहा जाता है कि सावन में भगवान भोले को जलार्पण करने से सुख समृद्धि मिलती है। भगवान भोले ने जो विषपान किया था, सावन के महीने में उन पर जल अर्पण करने से भगवान भोले के ऊपर से विष की शक्ति खत्म होती है और भगवान का मस्तिष्क ठंडा रहता है। भक्तों का मानना है कि सावन के माह में जलार्पण करने से भगवान भोले अति प्रसन्न होते हैं।
कोई स्वयं शिव तो किसी की बसहा सवारी
बहरहाल, वेष बनाकर चल रहे कांवरिया सावन में अलग-अलग रूप में सुल्तानगंज में देखने को मिल जाएंगे। कोई स्वयं शिव का वेश धारण किए है तो कोई अपनी गाड़ी को बसहा बनाकर चल रहा है। ऐसे सैकड़ों स्वरूप में भोले के भक्त इन दिनों 105 किलोमीटर लंबे कांवरिया पथ में नजर आ रहे हैं।