Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm adhyatm : भागवत कथा में कल आदर्श पुत्र में राम ,परशुराम, भीष्म, पुरु, रोहिताश्व, की कथा थी। आज आदर्श नारी किसे कहते हैं। सीता को अनुसुइया जी ने कहा वह नारी तुम हो, जो अपने पति में देवत्व का निवास करा देती है, जिसके मन में सिर्फ उसका पति ही हीरो ही नहीं ब्रह्मा विष्णु, महेश समझती है। सती सीता, सावित्री, शकुंतला, कुन्ती और मुगलकालीन जौहर करने वाली देवियां इसकी उदाहरण है। सती नारी वहीं है, जो अपने पति – पिता, परिवार, परिजनों के मर्यादा का सदैव ख्याल रखें। सती का कतई भाव नहीं है पति संग चिता में जलकर मरना। मध्यम चरित्र की नारी वह है जो दुसरे पुरुषों को अपने भाई ,पिता और पुत्र के तरह व्यवहार करती है। जो धर्म से अपने और कुल की पवित्रता, संरक्षण संवर्धन करती है। अधम नारी वह है, जो अपने कुल ,गोत्र, धर्म,माता – पिता के मानसिक भावों के विपरित है। इस तीसरे दर्जे के नर- नारी सनातन से बाहर हैं। इनकी संख्या अधिक है। ये लोग बहु-विवाह करते हैं। बहु विवाह, बहु पति बहुत पत्नी का प्रचलन है। ऐसे मे जैविक पिता और पालक पिता तथा माता की पहचान करनी मुश्किल हो जाती है। इस परिस्थिति में ये फादर डे, मदर डे मनाते हैं। जो फादर-मदर हैं, उसको याद करवाते हैं कि हम ही बेटा है। पं रामदेव पाण्डेय ने कुन्ती प्रसंग में उक्त बातें कहीं।
Bhagwat Katha: आदर्श पत्नी ही सती कहलाती है, आदर्श सती को भगवान भी नमन करते हैं
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