Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm : बरियातू के हाउसिंग काॅलानी क्षेत्र स्थित राम जानकी मंदिर में पूर्व की तरह सन्ध्या काल में श्री शिवपुराण कथा हो रही है। यह 12 अगस्त तक चलेगी।कथा वाचक पंडित रामदेव पाण्डेय ने कहा कि शिव वेद काल से पहले के आजन्मा हैं। साकार भी हैं, तो निराकार भी हैं। यह न देवता हैं, न मनुष्य, न राक्षस, न गन्धर्व, न अण्डज, न स्वेदज, न पिण्डज, न जरायुज ; शिव सबों के पिता हैं। उन्होंने कहा कि शिव निराकार भी हैं, शिव साम्यवादी भी हैं, रागी भी हैं, वैरागी भी हैं, नचैया भी हैं। इन्हें आप भगवान कह कर पूजा कर लें या शैतान कह कर भी पत्थर मार लें; आपके शरीर में दाहिने हाथ का अंगूठा शिव का प्रतिनिधित्व करता है। शिव भक्त किसी भी वर्ण का हो, नर हो या नारी, सधवा हो या विधवा ; रुद्राक्ष और भस्म का त्रिपुण्ड लगाने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। हर शिव भक्त को भष्म और रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। बेर या आंवला के बीज के आकार से कम आकार का रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
भगवान से नहीं, भय करें अपने दुष्कर्म से
कथा वाचक पंडित रामदेव पाण्डेय ने भगवान और भक्त के सम्बन्ध पर भी सविस्तार प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डरना है, तो अपने दुष्कर्म से डरना चाहिए। यही कर्म है, जो स्वर्ग और नरक देता है। सनातन ग्रंथों में कर्म की महत्ता है, जबकि पश्चिम के पथों में भगवान की प्रधानता है। उनसे डरें, क्योंकि वह हिकमतवाला है। ऐसा कह कर पथों ने स्वयं के भगवान को स्वार्थी और डरावना बना दिया है। सनातन में तो भक्त भगवान को श्राप देता है। ब्राह्मण भृगु ने शिव को श्राप दिया, “अब आप के लिंग की पूजा होगी।” शिव लिंग धरती और ब्रह्मांड का संयुक्त प्रतीक है। नारद ने विष्णु को श्राप दिया, “आप भी नारी के लिए पृथ्वी पर अवतार लें, वही राम हुए। भगवान भक्त के लिए अवतरित होते हैं। राम “ओम नमः शिवाय” जपते हैं, तो शिव राम राम जपते हैं। शिव पुराण वायवीय संहिता अध्याय ग्यारह श्लोक छप्पन कहता है… इस छ अक्षर के मंत्र से आदमी को सब सिद्धियां मिलती हैं। हर घर में नर्मदेश्वर शिव लिंग को रखना चाहिए। नर्मदा नदी शिव की मानस पुत्री हैं। शिव का आशीर्वाद नर्मदा को दिया कि आपके कंकड़-कंकड़ में शंकर नर्मदेश्वर के रूप में होंगे। इनको घर में रख कर पूजा करनी चाहिए। जिस घर में नर्मदेश्वर शिव लिंग होता है, उस घर में न अकाल मृत्यु होती है, न दरिद्रता आती है। कुबेर और यम शिव पार्षद हैं। नर्मदेश्वर की प्रतिष्ठा आवश्यक नहीं है और इस पर चढ़ा प्रसाद सभी खा सकते हैं। इनकी पूजा छूट जाये या घर से कहीं चले जायें, तो शिव लिंग को कटोरे भर पानी में डाल कर रख दें। इससे शिव प्रसन्न रहते हैं।