Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm adhyatm : सन्तान तीन और पुत्र चार तरह के होते हैं। रोहित, राम, भीष्म ने पिता के मनोभाव को पढ़कर स्वयं को पिता के आनन्द और सत्य के लिए राजकाज का त्याग कर दिया। उतम पुत्र या पुत्री वह है, जो माता पिता के रूख या मनोभाव को समझकर उसका निदान करें। जैसे हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहित, दशरथ के राम और शान्तनु के भीष्म है। मध्यम सन्तान वह है, जो माता पिता के कहने पर कोई कार्यवाही करें और अधम सन्तान वह है, जो माता- पिता की बातों और मनोभाव का विपरीत कार्य करें। ठीक इसी तरह पुत्र भी चार तरह के होते हैं , सेवक, उदासीन, महाजन और शत्रु। जो माता- पिता को मारे पीटे धुंधकारी, दुर्योधन की तरह वह शत्रु सन्तान है, जो पहले जन्म का शत्रु इस जन्म में बदला लेने आया है, महाजन पुत्र वह है जो जन्म के बाद खा-पीकर मृत्यु को प्राप्त कर लिया वह महाजन है। जो पहले जन्म का कर्ज वसुलने आया है। उदासीन सन्तान वह है, जो माता- पिता के लिए कुछ न किया है सेवा भी न किया और उतम सन्तान वह है, जो माता- पिता की सेवा दास या सेवक की तरह किया है। उक्त बातें भागवत कथा के अंतर्गत भीष्म चरित्र के प्रसंग में पं रामदेव पाण्डेय जी ने राम जानकी मंदिर हाउसिंग कालानी बरियातू में कहीं। ,यह कथा बारह अगस्त तक चलेंगी, जिसमें आसपास के भक्त कथा सुन रहे हैं।
Bhagwat Katha : सन्तान वही उतम है जो माता पिता का रुख देखकर कार्य करे, सन्तान तीन और पुत्र चार तरह के होते हैं
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