Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm : आजकल लोग खाने पीने कि तुलना शिव और दुर्गा जी से करते हैं और जब शिव और दुर्गा की तरह समाज कल्याण की जिम्मेदारी निभानी हो तो पुरुषार्थ विहीन हो जाते हैं। श्रीमद्देवीभागवत की कथा में पं रामदेव पाण्डेय ने कहा कि छद्मई भक्त कहते हैं हमारे शिव, कृष्ण, दुर्गा जी जो करते हैं, हम वहीं खाते पीते हैं। शिव जी गांजा- भांग का सेवन करते हैं। दुर्गा जी मधु पीती हैं, तो हम भी पीते हैं। शिव जी जहर पीते हैं और अमर हैं। वह सांप लपेटे हैं, कानों में बिच्छू का कुण्डल है। दिगम्बर भी हैं। श्मशान में रहते हैं तो तुम शिव की तरह रहो और करो।
दुर्गा जी फाइटर्स हैं, विदुषी हैं और ब्रह्मचारिणी हैं
दुर्गा जी मधु पीती हैं, दूर्गा जी फाइटर्स हैं, विदुषी है और ब्रह्मचारिणी हैं। आजकल बेटे- बेटियां अल्कोहल को मधु कहकर पीते हैं और समाज तथा राष्ट्र को मुश्किलों में डाल देते है। जो मधु दुर्गा पीती हैं,वह द्वारिका के यदुवंशी पीते थे। वह अल्कोहल नहीं है। वह है मधुपर्क जो कांसा के कटोरे में बनता है। उसका समिश्रण है मधु का आधा घी। घी का आधा दूध, दूध का आधा दही और दही का आधा गुड़ से जो पेय बनता है। यह पेय पंचामृत और मधु कहलाता है। सनातन के हजारों ग्रंथ और करोड़ों देवता हैं। इसमें हरि भी अनन्त हैं और इनकी कथा भी अनंत है। जबकि पश्चिम के कथित धर्म के पास जो एक ग्रंथ है, उसमें ओल्ड और न्यू हुए एक ग्रंथ को लेकर विश्व में विवाद है और न्यायलय में सैंकड़ों विवाद अटके हैं, जबकि वेद और गीता पर पूरा विश्व, नासा और इसरो रिसर्च कर रहा है। यही है सनातन का गौरव।