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शिवलिंग को पत्थर समझ तेज करने लगा औजार, फिर अचानक फूट पड़ी थी दूध की धार!

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dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharm, God and goddess, Bokaro news, Jharkhand news : जरुआ टांड़ बूढ़ा बाबा धाम का इतिहास 17वीं सदी का है। ऐसा माना जाता है कि एक लोहार की वजह से इस पवित्र स्थान के बारे में लोगों को पता चला। शिवरात्रि के अवसर पर या सावन के दिनों में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की जबर्दस्त भीड़ उमड़ती है। झारखंड के अनूठे शिव मंदिरों में बोकारो के चास प्रखंड के नारणपुर स्थित जरुआटांड़ बूढ़ा बाबा मंदिर का भी नाम आता है। 

मनोकामना शिवलिंग के लिए चर्चित है जरुवाटाड़ मंदिर

जरुवाटाड़ मंदिर अपने मनोकामना शिवलिंग के लिए चर्चित है। इससे जुड़ी कहानी रोचक है। जरुआटांड़ बूढ़ा बाबा धाम वेलफेयर न्यास समिति ट्रस्ट के प्रबंधक मनोरंजन तिवारी की मानें, तो मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल का है। यह मंदिर 17वीं सदी का बताया जाता है। बताते हैं कि एक लोहार शिवलिंग को पत्थर समझ कर इसी पर अपने औजार तेज कर रहा था। पत्थर पर लगातार चोट पड़ने से अचानक दूध की धारा फूट पड़ी। यह देख लोहार हैरान रह गया। दूध की धारा इतनी तेज थी कि सामने स्थित तालाब मिनटों में भर गया।

इस घटना से इलाके में मच गई थी हलचल

इस घटना से आसपास के इलाके में हलचल मच गयी। कुछ दिनों बाद काशीपुर के राजा को भगवान शिव ने सपने में दर्शन दिया। भगवान शिव ने राजा को आदेश दिया कि वह शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं। इसके बाद राजा ने बनारस से पंडित बुला कर यहां पर पूजा-अर्चना शुरू करायी। तभी से बूढ़ा बाबा मंदिर में भगवान शिव की आराधना हो रही है।

मनोरंजन तिवारी कहते हैं, “आज भी वह तालाब मौजूद है, जिसे श्रद्धालु दूधी गोड़िया के नाम से बुलाते हैं। तालाब से जल भर कर शिवलिंग को अर्पित करते हैं। इसके अलावा यहां रोजाना तो पूजा होती ही है, शिवरात्रि के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। बूढ़ा बाबा धाम में शिवरात्रि के अवसर पर अखंड कीर्तन और भक्ति कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दौरान मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों और खूबसूरत फूलों से सजाया जाता है।

जरुआटांड़ बूढ़ा बाबा धाम में शिवलिंग के अलावा दुर्गा मंदिर, महावीर मंदिर और हरि मंदिर भी है। मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालु प्रत्येक सोमवार को यहां आते हैं। उनकी तरह आसपास के सैकड़ों लोग देवाधिदेव महादेव की आराधना करने बूढ़ा बाबा धाम में पहुंचते हैं।

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