रावण वाणी भाग – 3
असुरों के साथ-साथ देवों पर भी हावी है।
रावण मामूली नहीं मायावी है।
हर साल की भाती इस साल भी कुछ राम बढ़े हुए हैं।
अपने साथ दो चार बानर लेके मुझ रावण पर खड़े हुए हैं।
तो चलो राम फिर से ये वाण उठाओ।
पर मुझसे पहले लोगों के हवस को मिटाओ।।
इंद्रजीत से पहले जात पात के रीत को हटाना।
कुंभकरण से पहले छोटी बच्चियों के हो रहे अपहरण को मिटाना।।
राम ये बाण काम ना आए धनुष बेकार हो जाए तो फिर तलवार उठा लेना।
जिस इंसानियत की इज्जत तुम्हारे नजरों के सामने लुट रही हो उसे पहले बच्चा लेना।।
अगर ये सब कर सको तो राम मुझसे नजरे मिलना।
वर्ना कलयुग के राम वापस लौट जाना।।
यूं ही नहीं रावण का नाम जल थल नभ मे छाया है।
काट कर सिर रावण ने भोलेनाथ को चढ़ाया हैं।।
कभी बैठ के अकेला रोता था, आज पूरी दुनिया प्रजा के साथ हंसूंगा।
मैं रावण 100 एऐब भी रखूंगा तो जंचूंगा।।
बहुत हुआ खुद को जमीं से उठाकर आसमां पे बैठाता हूं।
बहुत हरा लिया लोगों को, अब उनकी अकड़ को हराता हूं।
आज जो दिवाली हैं ना तुम दिए घी के जलाओ। मैं खुद को जलाता हूं।
रचयिता: डीएन मणि।