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Dharm adhyatm : रिसर्च में बड़ा खुलासा, बांदरी सेना ने सिर्फ 5 दिनों में ही कर दिया था राम सेतु का निर्माण; जानें पत्थरों के ना डूबने का कारण

Dharm adhyatm : रिसर्च में बड़ा खुलासा, बांदरी सेना ने सिर्फ 5 दिनों में ही कर दिया था राम सेतु का निर्माण; जानें पत्थरों के ना डूबने का कारण

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Big revelation in research, Bandari Army had constructed Ram Setu in just 5 days; Know the reason for stones not sinking, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm: पुरुषोत्तम भगवान राम का नाम आते ही हमारे मन मस्तिष्क में राम सेतु का भी ध्यान बरबस आ जाता है। क्योंकि राम सेतु ही वह पुल है, जिससे होकर भारत से श्रीलंका अपनी सेना लेकर भगवान राम माता सीता को लाने गए थे। ऐसा माना जाता है कि पुल का निर्माण नल और नील नाम के मन रोने किया था। नल और नील ने पुल का निर्माण करने के लिए पत्थरों पर राम नाम लिखवाया था। इन्हीं पत्थरों के जरिए समुद्र में मिलो लंबा पुल तैयार किया गया था। 

तूफान की वजह से रामसेतु समुद्र के अंदर चला गया

कहा जाता है कि पत्थरों पर राम नाम लिखने के बाद ये पत्थर पानी में नहीं डूबे थे। कई रिसर्च और रिपोर्ट में यह सच्चाई साबित भी हो चुकी है कि रामसेतु वास्तविक है काल्पनिक नहीं। रामसेतु आज भी समुद्र के नीचे दबा हुआ है। रामसेतु को वैज्ञानिक भी एक चमत्कार के तौर पर स्वीकार कर चुके हैं। बताया जाता है कि वर्षों पहले समुद्री तूफान आने की वजह से राम सेतु समुद्र के नीचे चला गया।

अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान नासा (NASA) भी सेटेलाइट की मदद से रामसेतु को ढूंढ चुका है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में आज भी रामसेतु मौजूद है। रामसेतु 48 किलोमीटर का रास्ता है। इसकी तस्वीर भारतीय सैटेलाइट और नासा की सेटेलाइट ले चुके हैं। इन तस्वीरोऔ को जारी करने के बाद ही पूरी दुनिया ने रामसेतु को असल में स्वीकार किया है। 

प्यूमिस स्टोन ऐसी पत्थर होते हैं, जिनमें कई छेद होते हैं

धार्मिक और पौराणिक कथाओं की मानें तो रामसेतु के बारे में कहा गया है कि नल और नील नाम के दो बंदरों ने सिर्फ पांच दिनों में रामसेतु का निर्माण किया था। इन्होंने पानी में ऐसे पत्थर डालें जो डूबे नहीं और तैरते रहे। आज इन पत्थरों पर कई वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। समय-समय पर इससे जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि रामसेतु में प्यूमिस स्टोन का उपयोग किया गया था जो आमतौर पर ज्वालामुखी की आग से पैदा होते हैं। प्यूमिस स्टोन ऐसी पत्थर होते हैं, जिनमें कई छेद होते हैं। इस कारण यह एक स्पंज के तौर पर दिखाई देते हैं। पत्थरों में कई छेद होने की वजह से ये पानी में नहीं डूबते। इन पत्थरों की एक और खासियत है कि यह सामान्य पत्रों की तुलना में काफी अधिक हल्के होते हैं। 

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