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Dharm adhyatm : शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन से कम नहीं है भादो, इस विधि से करेंगे पूजा तो पूरी होगी आपकी मनोकामना

Dharm adhyatm : शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन से कम नहीं है भादो, इस विधि से करेंगे पूजा तो पूरी होगी आपकी मनोकामना

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, Bhado ke mahine ka mahatva, importance of Bhado month, Lord Shankar and Vishnu : सावन का महीना ही नहीं भाद्रपद मास यानी भादो का महीना भी भगवान शिव की आराधना के लिए अति उत्तम माना जाता है। इस महीने में भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। आपको बता दें की भादो का महीना चातुर्मास का दूसरा महीना होता है। चातुर्मास में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। सनातन धर्म से जुड़े शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास में दुनिया के पालनकर्ता भगवान विष्णु पृथ्वी लोक की पूरी जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंपकर सोने के लिए पातला लोक चले जाते हैं। दूसरी ओर भगवान विष्णु के आदेश का पालन करते हुए भोले भंडारी माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते है। वैसे तो हमारे शास्त्रों के अनुसार सावन की तरह भादो का महीना भी पवित्र माना जाता है। भादो मास का हर दिन विशेष होता है। लेकिन भादो का सोमवार का अति विशिष्ट महत्व है। इस दिन भगवान शिव के 108 नाम लेने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। आपको यदि यकीन नहीं तो आप भगवान भोले भंडारी के निम्नलिखित 108 नाम का जाप करके आजमा सकते हैं। भगवान शिव शंभू के 108 नाम का जप करने से भगवान शिव तो खुश होते ही हैं। इनके साथ-साथ भगवान विष्णु और माता पार्वती भी प्रसन्न होकर भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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भगवान शिव के 108 नाम

1. शिव: कल्याण स्वरूप

2. महेश्वर: माया के अधीश्वर

3. शम्भू: आनंद स्वरूप वाले

4. पिनाकी: पिनाक धनुष धारण करने वाले

5. शशिशेखर: चंद्रमा धारण करने वाले

6. वामदेव: अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले

7. विरूपाक्ष: विचित्र अथवा तीन आंख वाले

8. कपर्दी: जटा धारण करने वाले

9. नीललोहित: नीले और लाल रंग वाले

10. शंकर: सबका कल्याण करने वाले

11. शूलपाणी: हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले

12. खटवांगी: खटिया का एक पाया रखने वाले

13. विष्णुवल्लभ: भगवान विष्णु के अति प्रिय

14. शिपिविष्ट: सितुहा में प्रवेश करने वाले

15. अंबिकानाथ: देवी भगवती के पति

16. श्रीकण्ठ: सुंदर कण्ठ वाले

17. भक्तवत्सल: भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले

18. भव:संसार के रूप में प्रकट होने वाले

19. शर्व: कष्टों को नष्ट करने वाले

20. त्रिलोकेश: तीनों लोकों के स्वामी

21. शितिकण्ठ: सफेद कण्ठ वाले

22. शिवाप्रिय: पार्वती के प्रिय

23. उग्र: अत्यंत उग्र रूप वाले

24. कपाली: कपाल धारण करने वाले

25. कामारी: कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले

26. सुरसूदन: अंधक दैत्य को मारने वाले

27. गंगाधर: गंगा को जटाओं में धारण करने वाले

28. ललाटाक्ष: माथे पर आंख धारण किए हुए

29. महाकाल: कालों के भी काल

30. कृपानिधि: करुणा की खान

31. भीम: भयंकर या रुद्र रूप वाले

32. परशुहस्त: हाथ में फरसा धारण करने वाले

33. मृगपाणी: हाथ में हिरण धारण करने वाले

34. जटाधर: जटा रखने वाले

35. कैलाशवासी: कैलाश पर निवास करने वाले

36. कवची: कवच धारण करने वाले

37. कठोर: अत्यंत मजबूत देह वाले

38. त्रिपुरांतक: त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले

39. वृषांक: बैल-चिह्न की ध्वजा वाले

40. वृषभारूढ़: बैल पर सवार होने वाले

41. भस्मोद्धूलितविग्रह: भस्म लगाने वाले

42. सामप्रिय: सामगान से प्रेम करने वाले

43. स्वरमयी: सातों स्वरों में निवास करने वाले

44. त्रयीमूर्ति: वेद रूपी विग्रह करने वाले

45. अनीश्वर: जो स्वयं ही सबके स्वामी है

46. सर्वज्ञ: सब कुछ जानने वाले

47. परमात्मा: सब आत्माओं में सर्वोच्च

48. सोमसूर्याग्निलोचन: चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले

49. हवि:आहुति रूपी द्रव्य वाले

50. यज्ञमय: यज्ञ स्वरूप वाले

51. सोम: उमा के सहित रूप वाले

52. पंचवक्त्र: पांच मुख वाले

53. सदाशिव: नित्य कल्याण रूप वाले

54. विश्वेश्वर: विश्व के ईश्वर

55. वीरभद्र: वीर तथा शांत स्वरूप वाले

56. गणनाथ: गणों के स्वामी

57. प्रजापति: प्रजा का पालन- पोषण करने वाले

58. हिरण्यरेता: स्वर्ण तेज वाले

59. दुर्धुर्ष: किसी से न हारने वाले

60. गिरीश: पर्वतों के स्वामी

61. गिरिश्वर: कैलाश पर्वत पर रहने वाले

62. अनघ: पापरहित या पुण्य आत्मा

63. भुजंगभूषण: सांपों के आभूषण धारण करने वाले

64. भर्ग: पाप का नाश करने वाले

65. गिरिधन्वा: मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले

66. गिरिप्रिय: पर्वत को प्रेम करने वाले

67. कृत्तिवासा: गजचर्म पहनने वाले

68. पुराराति: पुरों का नाश करने वाले

69. भगवान: सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न

70. प्रमथाधिप: प्रथम गणों के अधिपति

71. मृत्युंजय: मृत्यु को जीतने वाले

72. सूक्ष्मतनु: सूक्ष्म शरीर वाले

73. जगद्व्यापी: जगत में व्याप्त होकर रहने वाले

74. जगद्गुरू: जगत के गुरु

75. व्योमकेश: आकाश रूपी बाल वाले

76. महासेनजनक: कार्तिकेय के पिता

77. चारुविक्रम: सुन्दर पराक्रम वाले

78. रुद्र: उग्र रूप वाले

79. भूतपति: भूतप्रेत और पंचभूतों के स्वामी

80. स्थाणु: स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले

81. अहिर्बुध्न्य: कुण्डलिनी धारण करने वाले

82. दिगम्बर: नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले

83. अष्टमूर्ति: आठ रूप वाले

84. अनेकात्मा: अनेक आत्मा वाले

85. सात्त्विक: सत्व गुण वाले

86. शुद्धविग्रह: दिव्यमूर्ति वाले

87. शाश्वत: नित्य रहने वाले

88. खण्डपरशु: टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले

89. अज: जन्म रहित

90. पाशविमोचन: बंधन से छुड़ाने वाले

91. मृड: सुखस्वरूप वाले

92. पशुपति: पशुओं के स्वामी

93. देव: स्वयं प्रकाश रूप

94. महादेव: देवों के देव

95. अव्यय: खर्च होने पर भी न घटने वाले

96. हरि: विष्णु समरूपी

97 .पूषदन्तभित: पूषा के दांत उखाड़ने वाले

98. अव्यग्र: व्यथित न होने वाले

99. दक्षाध्वरहर: दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले

100. हर: पापों को हरने वाले

101. भगनेत्रभिद्: भग देवता की आंख फोड़ने वाले

102. अव्यक्त: इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले

103. सहस्राक्ष: अनंत आँख वाले

104. सहस्रपाद: अनंत पैर वाले

105. अपवर्गप्रद: मोक्ष देने वाले

106. अनंत: देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित

107. तारक: तारने वाले

108. परमेश्वर: प्रथम ईश्वर

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