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Dharm adhyatm : आज गजकेसरी योग में मनायी जायेगी अक्षय तृतीया, जानें इस योग का महत्व

Dharm adhyatm : आज गजकेसरी योग में मनायी जायेगी अक्षय तृतीया, जानें इस योग का महत्व

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dharm adhyatm, Today Akshaya Tritiya will be celebrated in Gajakesari Yoga, know the importance of this yog, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharm : हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्त्व है। हिन्दी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है ; यानी इस दिन बिना मुहूर्त विचार के कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस दिन सोने-चांदी से बने आभूषण की खरीदारी और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने का विधान होता है। 

सोने-चांदी की खरीदारी से व्यक्ति के जीवन में खुशियां और धन सम्पदा हमेशा बनी रहती है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोने-चांदी की खरीदारी से व्यक्ति के जीवन में खुशियां और धन सम्पदा हमेशा बनी रहती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को मनायी जायेगी और इस बार गजकेसरी राजयोग का निर्माण भी होगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को बहुत शुभ योग माना जाता है। यह गजकेसरी राजयोग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है। 100 साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 10 मई को है। इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहा जाता है। इस दिन परशुराम जयंती भी मनायी जाती है। 

इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी

ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त निकाले शुभ कार्य, विवाह करना, सोना-चांदी खरीदना, नये कार्य करने से जैसे काम किये जा सकते हैं। इस दिन किये गये व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य ; यानी ऐसा पुण्य, जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है। अक्षय तृतीया पर जल का दान जरूर करना चाहिए। साल में चार अबूझ मुहूर्त आते हैं। इन मुहूर्त में विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किये जा सकते हैं। 

वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है

ये चार अबूझ मुहूर्त हैं – अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी। ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गयी हैं।

ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन  गजकेसरी योग और धन योग बन रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर इस दिन सूर्य और शुक्र की मेष राशि में युति हो रही है, जिससे शुक्रादित्य योग बन रहा है। इसके साथ ही मीन राशि में मंगल और बुध की युति से धन योग, शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होने से शश योग और मंगल के अपनी उच्च राशि मीन में रह कर मालव्य राजयोग और वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है।

अक्षय तृतीया को शुभ मुहूर्त माना जाता है

हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया को एक शुभ मुहूर्त और महतत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज कहा जाता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य किया जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इसलिए इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था।

अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 4:17 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 मई को देर रात 2:50 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई 2024 को मनाया जायेगा। 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन पूजा का सुबह 5: 33 मिनट से लेकर दोपहर 12:18 मिनट तक रहेगा।

पितरों की तृप्ति का पर्व

इसी दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया पर तिल सहित कुश के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है। इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परम्परा है। ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है। इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है। तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डाल कर नहा सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरूरतमंद को दान दें। ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है।

दान से मिलता है अक्षय पुण्य

अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी यह दिन खास माना जाता है।

ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवस

कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं। अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो। इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है। ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस रहता है। दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है। खास कर जल से भरा घड़ा या कलश किसी मंदिर या प्याऊ स्थल पर जाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है।

भगवान विष्णु ने लिये कई अवतार

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे। इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे।

विष्णु भगवान और लक्ष्मी की विशेष पूजा

अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें। सबसे पहले गणेश पूजन करें। इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें। इसके बाद शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें। खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगायें। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ायें। किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें। सूर्यास्त के बाद शालिग्राम के साथ ही तुलसी के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक जलायें। अक्षय तृतीया पर किसी सामूहिक विवाह में धन राशि भेंट करें। किसी अनाथ बालिका की शिक्षा या उसके विवाह में आर्थिक मदद करें।

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